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Akhand Jyoti
Year 1997
Version 2
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August 1997
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सलाह उनसे पूछो जिनने कोई मंजिल पायी और दृढ़तापूर्वक चलते रहकर सफलता पाई।
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Page Titles
पवित्रता ही प्रभु-मिलन का द्वार
सौन्दर्य का दर्प
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प्रकृति की पाठशाला में लें हम प्रशिक्षण
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बालक का आत्मोत्सर्ग
उपासनाएँ सफल तब हों, जब उनका मर्म समझें
क्या चिन्तन विज्ञान की गुलामी करेगा ?
वैभव-सम्पदा अकूत, किंतु सुनियोजन फिर भी नहीं
मिल-बाँट कर खाने का चमत्कार (Kahani)
अपना भाग्य-विधाता मनुष्य स्वयं
समग्र क्रान्ति हेतु युवाओं का आह्वान
ज्ञान-दान की महिमा
गंगा की गोद-हिमालय की छाया
वर्चस् की प्राप्ति प्राणाग्नि के जागरण से
सम्राट् नेपोलियन (Kahani)
रहस्यों से भरे ये विचित्र संयोग
श्रमनिष्ठा (Kahani)
अंधकार का पर्याय बन जाता है ऐसा ज्योतिष
जो भी ग्रहण करें, वह पवित्र एवं परिष्कृत हो
सर्वप्रमाणित है उस स्रष्टा की सामर्थ्य
उसकी कृपा का एक कण हमें भी मिल जाए
तीन चमत्कारी हानिरहित योगसाधनाएँ
ब्रह्मकमल (Kahani)
क्या कहेंगे इन अजूबों को आप ?
परमार्थपरायण जीवन (Kahani)
योगनिद्रा से मनःशक्ति संवर्द्धन
स्वतंत्रता की स्वर्णजयंती, गिरते नैतिक मूल्य एवं प्रबुद्धों का दायित्व
राखी का मोल
शब्दों वै ब्रह्मः
स्वतन्त्रता स्वर्णजयंती लेखमाला-३ - श्री अरविन्द के स्वप्नों का भारत
नया इनसान बनाएँगे, नया संसार बसाएँगे - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
आत्मसाधना एवं लोकसेवा (Kahani)
अपनों से अपनी बात- - इस वर्श के शान्तिकुञ्ज के ७ अ विस्मरणीय रजत जयंती समारोह
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VigyapanSuchana
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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