साम्यवादी दल की ही एक सिरफिरी लड़की ने लेनिन पर पिस्तौल चला दी । गोली तो निकल गई, पर छर्रे गले और गरदन में फँसे रह गये। उसी बीच एक पुल टूट गया। आपात स्थिति घोषित करके उसे युद्ध स्तर को आया। तब पता चला कि लेनिन भी उसमें लगे थे। गले में गोली होते हुए भी मजदूरों के साथ भारी शहतीर उठवाने का काम नित्य बीस-बीस घंटे तक करते रहें। पूछने पर, उन्होंने संक्षिप्त सा उत्तर दिया, कहा - हम अग्रणी कहलाने वाले पीछे रहें, तो जन उत्साह में वह प्रखरता नहीं आ सकती जो आनी चाहिए।