मधुमक्खी और तितली एक ही पेड़ पर रहती थीं। अक्सर वाटिका में फूलों के पास भी मिल जातीं। एक दूसरे की कुशल पूछतीं और अपने काम पर लग जातीं।
बरसाते आ गयी। लगातार झड़ी लगी थी। तितली उदास बैठी थी। मधुमक्खी ने पूछा, बहिन क्या बात है? ऐसे सुन्दर मौसम में उदासी कैसी?
तितली बोली मौसम की सुन्दरता से पेट की भूख अधिक प्रभावित कर रही है। कहीं भोजन लेने जा नहीं सकती, इसीलिए परेशान हूँ।
मधुमक्खी बोली-ऐसे समय के लिए कुछ बचत क्यों नहीं की? कल की बात न सोचने वाले यूँ ही परेशान होते हैं। ऐसा समझाकर मधुमक्खी ने अपने संचित कोश में से तितली की भी भूख शान्त की।