मानवता के भाग्योदय के द्योतक सविता ! तुम्हें नमन। नवयुग के ‘उज्ज्वल भविष्य’ के घोषक सविता । तुम्हें नमन !! 1 !!
सुप्त देवसंस्कृति - उन्नायक, राष्ट्र-जाग्रति के पुरोहित । प्रखर ओज से, दिव्य तेज से, ब्रह्मवर्चस से, तुम ज्योतित ॥
प्राण-प्रदायक, साहस-दायक, पोषक-सविता। तुम्हें नमन। नवयुग के ‘उज्ज्वल भविष्य’ के घोषक - सविता। तुम्हें नमन ॥ 2 ॥
संवेदन-विहीन मानव हृदयों में, संवेदन पोषक। अरे! श्रेष्ठ चिंतन के पुरोहित। तुम हो सद्चिंतन प्रेरक॥
रोग-शोक, दारिद्र-दैन्य, अवरोधक-सविता। तुम्हें नमन। नवयुग के ‘उज्ज्वल-भविष्य’ के घोषक-सविता । तुम्हें नमन ॥ 3 ॥
समता ममता, नेह-रश्मियाँ बिखराने वाले सविता। आशा को प्रकाश किरणों को छिटकाने वाले सविता॥
घृणा - द्वेष के अंधकार, अवशोषक-सविता तुम्हें नमन। नवयुग के उज्ज्वल भविष्य’ के घोषक-सविता तुम्हें नमन। 4॥
उदय हो रहे हो तुम सविता । नवयुग का आगमन लिये। धराधाम पर स्वर्ग मनुज में देवोपम आचरण लिये॥
विश्व वंद्य। राष्ट्र - पौरुष संयोजक - सविता। तुम्हें नमन। नवयुग के उज्ज्वल भविष्य’ के घोषक-सविता तुम्हें नमन। 4॥
- मंगल विजय ‘विजयवर्गीय’