जगायें तो सही इस प्रसुप्त जखीरे को

July 1994

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रेडियो जब तक बंद पड़ा रहता है, तब तक न उससे गीत सुनाई पड़ते हैं, न संगीत । खबरें भी नहीं आतीं, किंतु जब वह चालू होता है, तो सूक्ष्म तरंगों को पकड़-पकड़ कर श्रव्य बनाने लगता है। हमारा मस्तिष्क भी रेडियो जैसा है। जब उसके अंदर के सूक्ष्म संस्थान जाग्रत होते हैं, तो अदृश्य और अविज्ञात स्तर की घटनाएँ भी सुविज्ञात बनने लगती हैं। यदा-कदा जब ऐसा अकस्मात् होता है, तो उसे ही उसे ही लौकिक जगत “पूर्वाभास”‘ के नाम से पुकारता है।

घटना 1958 की है। पेंसबरी हाइट्स फिलाडेल्फिया की हैजल लैर्म्बट अपनी ड्यूटी से घर जा रही थी। आज भी वह उसी रास्ते से गुजर रही थीं। जिससे होकर अक्सर जाया करती थी। मोरिसविले पहुँचने पर डेलमूर एवेन्यू में उसने कार रोकी और अपनी एक सहकर्मी को उतारा। इसके बाद उसने बाजार जाने का विचार बनाया। जैसे ही उस रास्ते पर वह कुछ दूर आगे बढ़ी, उसके मन अचानक एक तीव्र भाव उत्पन्न हुआ, मानों कुछ गलत हो रहा हो। इसके पश्चात् अपनी कार दूसरी ओर मोड़ दी और गाड़ी तेज रफ्तार से चलाने लगी। ऐसा क्यों किया ? उसे स्वयं भी नहीं पता। गाड़ी चली जा रही थी। जल्द ही वह हिलसाइड स्ट्रीट के चौराहे पर पहुँच गई। यह सड़क एक नहर के किनारे-किनारे दूर तक चली गई थी। लैम्बर्ट ने ज्यों ही चौराहे से दूसरी ओर नजर दौड़ाई, भयभीत हो उठी। एक दो वर्षीय बालक नहर के बर्फ युक्त किनारे से लटका हुआ था। उसके हाथ छूटने या बर्फ के टूटने से वह नहर में गिर कर मर सकता था। गाड़ी सीधे उस बालक के निकट ले गई, किन्तु दुर्भाग्यवश उससे बाहर आने से पूर्व ही कार बर्फ में धँस गई, जिससे उसका निकलना असंभव हो गया। वह जोर-जोर से चिल्लाने और हार्न बजाने लगी। आवाज सुनकर जार्ज टेलर और उसका चौदह वर्षीय बालक सहायतार्थ पहुँचे। दोनों ने मिलकर पहले उस बालक को को बचाया, फिर फँसी गाड़ी को उनने बाहर निकाला। अब लैंबर्ट को समझ में आया कि क्यों उसे इस ओर आने की प्रेरणा मिली।

दुर्जन से न बैर पालों न प्रीति। कुत्ते के काटने और चाटने में दुख ही दुख है।

ऐसी ही एक घटना का उल्लेख विण्डसर आँनटेरियों ने अपनी पुस्तक “प्रीमोनीशन” में किया है। प्रसंग मार्च 1949 का है। चालीस वर्षीय चार्ल्स बोगराडस लास एंजिल्स में एक पुलिस अफसर के पद पर कार्यरत थे एक रात वे अपने साउथ सिमरन स्ट्रीट स्थित मकान में अपनी पत्नी के साथ बीमा संबंधी कुछ दस्तावेज देख रहे थे। अचानक उन्होंने कागजों को एक ओर सरकाते हुए कहा - “मिल्डरेड ! न जाने क्या मुझे ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे कुछ बुरा होने वाला है। यदि सचमुच ही मेरे साथ कोई दुर्घटना घटी, तो तुम धीरज से काम लेना, घबराना मत।”

इतना कह कर बोगारडस सो गया। पत्नी भी सो गई। तीन-चार दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा। असामान्य कुछ भी घटित न हुआ। उस दिन की बात दोनों भूल गये।

एक दिन बोगारडस एवं एक अन्य अफसर अपनी रुटिन ड्यूटी पर थे। 11 बजे दिन तक सब कुछ ठीक-ठाक था, तभी अचानक उन्हें एक रेडियो संदेश मिला। कहा गया कि वे पश्चिमी वाशिंगटन में बोलीवार्ड अविलंब पहुँचे। सूचना थी कि वहाँ दो बंदूकधारी लूट-पाट मचा रहे हैं बोगारडस और साथी अफसर कार से तत्काल उक्त स्थल पर पहुँचे। पुलिस को देखते ही दोनों दस्यु भागने लगे। बोगारडस ने एक का पीछा किया। किन्तु वे अभी थोड़ी ही दूर बढ़े थे कि डाकू ने पीछे मुड़ कर बंदूक चला दी। गोली मस्तिष्क में लगी और वे वहीं लुढ़क गये। इस प्रकार बोगारडास का पूर्वाभास अंततः सत्य सिद्ध हुआ।

थानी से पीछा छुड़ाना है तो उससे कुछ माँगने लगे और निकम्पों को भगाना है तो थोड़ा सा कर्ज दे दो।

मिलता - जुलता एक अनरु प्रकरण कैलीफोर्निया का है। पाँल स्ट्रैटस्, मोडेस्टो, कैलीफोर्निया में ड्यूटी पर थी। अकस्मात् उसे ऐसा लगा, जैसे घर पर कुछ गड़बड़ होने वाली है। वह इससे व्यग्र हो उठी। पिता को फोन किया और अपने तेरह वर्षीय पुत्र का समाचार जानना चाहा। पिता तुरंत लड़की के घर पहुँचे, किन्तु तब तक विलंब हो चुका था। निकी अपनी साइकिल में भरी बंदूक लिये कहीं चला जा रहा था। न जाने कैसे वह हाथ से फिसल कर नीचे गिर पड़ी। गोली ऊपर की ओर चली और उसकी छाती को भेदते हुए निकल गई। वहीं उसके प्राण छूट गये। पॉल की आशंका इस प्रकार सही साबित हुई।

पूर्वाभास की एक ऐसी ही और घटना कैलीफोर्निया की है। क्लीफोर्ड मैक नामक एक व्यक्ति ने अब्राहम इजर को अपने घर पर दोपहर के खाने में निमंत्रित किया। भाजन हो चुकने के उपरांत दोनों वार्तालाप में व्यस्त हो गये। मैक प्रकाशक था और अब्राहम भी ऐसा ही कोई धंधा करता था। मैक की पत्नी वहाँ से ये कहते हुए उठ पड़ी कि उसे स्नान की इच्छा हो रही है। दोनों अपने व्यवसाय से संबंधित बातचीत में पुनः तल्लीन हो गये। जब करीब बीस मिनट बीत गये, तो इजर को न जाने क्यों यकायक ऐसा अनुभव हुआ, जैसे मैक की पत्नी किसी संकट में है। वह चिल्ला उठा और मैक से बाथरुम का दरवाजा तोड़ डालने का आग्रह करने लगा। अब्राहम में अचानक आये इस बदलाव से मैक भौंचक्का रह गया, सोचने लगा कहीं वह पागल तो नहीं हो गया।

चिल्लाना जारी था। अब्राहम बार - बार यही कह रहा था कि दरवाजा तुरंत तोड़ डालो , किंतु जब उसकी चेतावनी का कोई असर पड़ता नहीं दिखाई दिया, तो उसने पुलिस बुलाने की धमकी दी । अब मैक कुछ गंभीर हुआ । दोनों स्नानगृह के पास पहुँचे । वह अंदर से बन्द था। मैक ने आवाज लगायी , पर कोई जवाब नहीं मिला। उसने दुबारा पुकारा , किंतु इस बार भी कोई उत्तर न मिला। अब मैक को भी स्थिति की गंभीरता नजर आयी। उसने धक्के मार कर दरवाजा तोड़ डाला। अंदर उसकी पत्नी बेहोश पड़ी थी। उसका सिर पानी के टब के भीतर था। दोनों ने मिलकर उसे उठाया और अविलंब अस्पताल ले गये, जहाँ वह कुछ घंटे के उपचार के बाद पुनः स्वस्थ हो गई।

यहाँ कुछ कतिपय घटनाओं की चर्चा द्वारा यह बताने का प्रयास किया गया है कि जब सामान्य सत्र और अवस्था में काया इतनी अद्भुत हो सकती है, तो उसके दिव्य जागरण में वह कितनी असाधारण होगी, इसका अंदाज लगाया और उन अपरिमित संभावनाओं को जाना जा सकता है जो प्राकृतिक जाग्रति की स्थिति में आने पर संभव हो जाती हैं। शरीर में अलौकिक अवतरण संभव है, हर किसी के द्वारा हर कभी भी। कुछ को यह सहज सुलभ हो जाता है। कुछ को साधना पुरुषार्थ द्वारा।

रोगी ने चिकित्सक को अपनी परेशानी बतलायी कि जब वह रात को पलँग पर सोता है तब ऐसा लगता है कि चारपाई के नीचे कोई छिपकर बैठा हैं। नीचे झाँककर देखता हूँ तो वह गायब हो जाता है और जब पलँग के नीचे सोता हूं तो लगता है कि वह ऊपर बिस्तर पर आकर सो गया है। कृपया मेरी हैरानी मिटाइए अन्यथा मैं पागल हो जाऊंगा । मैं रात भर सो नहीं पाता । चिकित्सक ने कहा मामला गंभीर हैं रोग पुराना हैं। समय और पैसा बहुत लगेगा । उसने कहा कितना खर्च बैठ जाएगा । डॉक्टर ने कहा यही कोई दो सौ रुपया प्रति सप्ताह । किंतु इलाज लंबा चलेगा दो बरस भी लग सकते हैं।

रोगी पत्नी के पास दौड़कर आया । डॉक्टर को पूरी बात बताई। पत्नी ने मन ही मन सोचा बहम की दवा लुकमान पर भी नहीं थी। जरूर इन्हें किसी ठग से पाला पड़ गया हैं। पत्नी बोली यह इलाज तो महँगा पड़ेगा । इतनी अपनी आर्थिक हैसियत भी नहीं हैं। किंतु आप निश्चित रहें अब आपकी चारपाई ऊपर नीचे कोई नहीं आवेगा। वह गई उसने पलंग के चारों पाए कटवा दिये। अब न कोई नीचे बैठा दिखाई देता न ऊपर । रोगी को वापस न आता देख डॉक्टर का फोन आया कि आप आये नहीं। रोगी ने कहा डाक्टर घर में ही इलाज हो गया। कम समय में और पैसों के बिना। डाक्टर बोला “वह कैसे ?” उसने कहा वहम के भूत की बैठक का स्थान ही नहीं छोड़ा। पत्नी ने पलँग के चारों पैर काट दिये। अब मुझे अच्छी नींद आती है। अब मैं चैन सोता हूँ। कष्ट के लिए धन्यवाद।


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