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December 1994

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भाव संवेदना की शक्ति जब दैवी अनुदान के रूप में मनुष्य अंतरात्मा पर उतरती है तो उसे निहाल बनाकर रख देती है। जब यह अंतःकरण के साथ जुड़ती है तो उसे देवदूत स्तर का बना देती है। एक एक के आधार पर ही ऐसे साधक में अनेकानेक दैवी तत्व भरते चले जाते हैं व उसे महापुरुष बना देते हैं।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य


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