ईसा ने कहा (Kahani)

February 1988

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एक आदमी यरूशलम से यरीहो को जा रहा था, डाकुओं ने उसे घेर कर उसके कपड़े उतार लिये। उसे मार-पीटकर वे अधमरा करके छोड़ गये। एक पादरी वहाँ से निकला। वह उसे देखकर कतराकर चला गया। एक लेबी भी उधर से निकला। वह भी उसे देखकर कतराकर चला गया। तब आया एक सामरी। उसने उस घायल को देखा, तो उसे उस पर तरस आया। उसने उसके घावों पर तेल लगाया। दाख का रस डालकर पट्टी बाँधी। उसे अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया और उसने उसकी सेवा टहल की। दूसरे दिन उसने दो चाँदी के सिक्के निकालकर भटियारे को दिये और कहा - इसकी ठीक ढंग से सेवा टहल करना। जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूँगा। बता, इन तीनों में से उस घायल का पड़ोसी कौन ठहरा? ईसा ने पूछा। वह बोला - “वही जिसने उस पर दिया दिखायी।” ईसा ने कहा - “जा, तू भी ऐसा ही कर।”


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