तो तुम्हें क्या आपत्ति है (Kahani)

February 1988

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घटना उन दिनों की है जब लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय गृह मन्त्री थे। उनके निवास स्थान का एक दरवाजा जनपथ की ओर और दूसरा अकबर मार्ग की ओर था। एक बार दो श्रमिक स्त्रियाँ सिर पर घास का गट्ठर रखकर उस मार्ग से निकलीं तो चौकीदार ने उन्हें धमकाना शुरू किया। उस समय शास्त्री जी अपने घर में बैठे कुछ कार्य कर रहे थे उन्होंने सुना तो तुरन्त बाहर आ गये और पूछने लगे - क्या बात है? चौकीदार ने सारी बातें बता दी।

शास्त्री जी ने कहा - क्या तुम देख नहीं रहे कि इनके सिर पर कितना बोझ है। यदि वे निकट के मार्ग से जाना चाहती है तो तुम्हें क्या आपत्ति है? जाने क्यों नहीं देते?


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