वासंती उल्लास के साथ नूतन गतिविधियों का शुभारम्भ

February 1988

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शांतिकुंज गायत्री तीर्थ में शीत ऋतु के समापन के साथ बसंत पर्व की शुभ बेला में नूतन क्रिया कलापों का शुभारंभ हुआ जिसमें प्रज्ञा परिजनों का एक बहुत बड़ा समुदाय सम्मिलित हुआ। यह विदित ही है कि बसंत पर्व हर वर्ष मिशन के सूत्र संचालक के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। परिजन शांतिकुंज हरिद्वार आकर युग देवता के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि समर्पित करते है अथवा अपने अपने स्थानों पर पर्व सोल्लास मनाते है। इस बसंत पर्व पर त्रैमासिक नूतन सत्र श्रृंखला आरम्भ हुई। शाँतिकुँज की छटा इन दिनों देखने योग्य है। वनौषधि उद्यान की अपनी रमणीय शोभा है, जिसमें न केवल अलभ्य दुर्लभ जड़ी बूटियाँ है, अपितु सुन्दर मन को मोहने वाली पुष्प वाटिका भी है। इन सबके साथ स्वावलंबन प्रधान शिक्षण का नया आरण्यक आरम्भ हुआ है जिसमें बुद्धिमत्ता, स्वस्थता, आजीविका से सम्बन्धित सेवा साधना साधना प्रशिक्षण के निर्मित नये दस कक्ष बनाये गए हैं। इसे युगनायक शिक्षण नाम दिया गया है। प्रौढ़शिक्षा, बाल संस्कार शाला, पुस्तकालय संचालन का शिक्षण, वक्तृत्व कला व संगीत विद्या का अभ्यास, स्वास्थ्य रक्षा से सम्बन्धित विभिन्न विद्याओं का शिक्षण एवं आजीविका अर्जन हेतु सहकारिता व लघु उद्योगों से सम्बन्धित जानकारियाँ सैद्धांतिक व व्यावहारिक रूप में देने का प्रशिक्षण यहाँ आरम्भ किया जा चुका है। इसके लिए विभिन्न स्थानों से मॉडल्स, चार्ट, खादी ग्रामोद्योग व ग्राम्य विकास संबंधित नए उपकरण मंगाकर लगाये गये है जिनके द्वारा शिविरार्थी 3 माह की अवधि में रहकर ऐसा कुछ सीखकर जा सकेंगे। जिसे कार्य क्षेत्र में लागू करने पर व न केवल अनौपचारिक शिक्षा का एक नया तंत्र खड़ा कर सकेंगे, अपितु अनेकों का आजीविका अर्जित कर स्वावलम्बी बनने का लाभ दिला सकेंगे। पहले सत्र में स्थान पूरा भर चुका है। नित्य अनेकों पत्र प्रस्तुत शिक्षण में भाग लेने के लिए आ रहे है। प्रस्तुत युग नेतृत्व प्रशिक्षण की सम्भावनाएँ इस उत्साह को देखकर उज्ज्वल प्रतीत

विज्ञान व अध्यात्म के समन्वय हेतु संकल्पित इस प्रतिष्ठान के साथ पिछले दिनों नये आयाम जुड़े है एवं इनका शुभारंभ इस बसंत पर्व से ही कर दिया गया है। एक पक्ष है - गीता विश्व कोष के सृजन हेतु अनेकानेक ग्रन्थों में से महत्वपूर्ण अंशों का, तथ्यों का संकलन। यह ब्रह्मवर्चस की दार्शनिक शोध का अब एक महत्वपूर्ण अंग है। कई शोधार्थी इस कार्य में जुट गए है। संदर्भ ग्रन्थों का संकलन किया जा चुका है, विभिन्न विश्व विद्यालयों से संपर्क बना हुआ है। यह लम्बे समय तक चलने वाला कार्य है।

दूसरा वैज्ञानिक शोध सम्बन्धी पक्ष है। जैसी कि पूर्व के अंकों में जानकारी दी जा चुकी है, आधुनिकतम उपकरण इस कार्य के लिए जुटाये गए है। शब्द शक्ति की महत्ता दर्शाने वाले, संगीत चिकित्सा मंत्र विज्ञान का विज्ञान सम्मत स्वरूप प्रतिपादित करने वाले उपकरण ब्रह्मवर्चस की प्रयोगशाला में आ गए है। आयुर्वेद के पुनर्जीवन एवं अग्निहोत्र परम्परा की वैज्ञानिकता के प्रस्तुतीकरण हेतु गैस लिक्विड क्रोमेटोग्राफ यंत्र संस्थान में लग चुका है। इससे धूम्र विश्लेषण प्रक्रिया के आधुनीकरण तथा वनौषधि विश्लेषण के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान मिला रहा है। बायोमाँनीटर एवं 2 चैनेल पालीग्राफ यंत्र द्वारा साधकों पर संगीत यज्ञ वनौषधि आहार चिकित्सा के प्रभाव का आँकलन का नूतन क्रम आरम्भ हो चुका है। हम जिस युग में जी रहे है, उसे कम्प्यूटर युग का जा सकता है, जिसके प्रयोग ने साँख्यिकी, गणितीय प्रक्रिया को अत्यन्त सरल बना दिया है। ब्रह्मवर्चस के वैज्ञानिक ने कम्प्यूटर को अध्यात्म प्रयोगों से जोड़ने का एक विलक्षण प्रयास किया है जिसे यहाँ के विप्रो पीसी/एक्स. टी. कम्प्यूटर पर होती अपनी आंखों से अनेकों दर्शकों द्वारा देखा जा रहा है। अपने आपको युगानुकूल बनाते हुए वैज्ञानिक प्रयोग परीक्षणों का जो अत्याधुनिक सिलसिला आरम्भ हुआ है उससे भविष्य के प्रति नई सम्भावनाएँ उदित हुई है।

बड़वानी- शाँतिकुँज सम्मेलन में कार्यकर्ताओं ने समीपवर्ती क्षेत्र में 2000 दीप यज्ञ कार्यक्रम सम्पन्न कराने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को पूरा करने के लिए सभी कार्यकर्ता मिल जुलकर टोली बद्ध रूप से जुट पड़े है। जहाँ भी कार्यक्रम होता है पहले दीवाल लेखन द्वारा ग्रामवासियों में कार्यक्रम के प्रति उत्कंठा पैदा कर दी जाती है। कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों का नाम रजिस्टर में लिखकर व्यापक जनसंपर्क कार्यक्रम चलाया जाता है।

करेली कालोनी, इलाहाबाद - यहाँ पर प्रारम्भ में 208 वेदी के दीपयज्ञ कार्यक्रम की व्यवस्था की गई थी, पर प्रबुद्ध जन समुदाय की बढ़ती संख्या के कारण वेदियों की संख्या भी बढ़ाई गई। इस कार्यक्रम में स्थानीय अधिकारी वर्ग ने सोत्साह सम्मिलित होकर दहेज उन्मूलन, नशा निवारण, वृक्षारोपण तथा प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को सफल बनाने के संकल्प पत्र भरे।

जूनागढ़ - शरद पूर्णिमा से दीप यज्ञ की श्रृंखला आरम्भ करते हुए प्रथम कार्यक्रम 2008 वेदी का करने की व्यवस्था कार्यकर्ताओं ने बनाई, पर जनसमूह का अपार उत्साह इस तरह उमड़ा कि वेदियों की संख्या दो हजार से भी ऊपर करनी पड़ी। सूर्यास्त के बाद जैसे ही दो हजार वेदियों में एक साथ दीप जल उठे। दर्शक इस मनोहारी दृश्य को देखते ही रहे। कार्यकर्ताओं का ध्यान उपस्थित जनसमुदाय को मिशन की विचार धारा से जोड़ने की ओर रहा फलतः इस अवसर पर युगशक्ति गायत्री (गुजराती) के न्यूनतम 5 हजार सदस्य बनाने का विशाल कार्यक्रम चलाया गया।

पटना - दीप यज्ञ कार्यक्रम सोल्लास सम्पन्न हुआ। अभी तक यहाँ 935 अखण्ड ज्योति पत्रिकायें आती थी। नए वर्ष से यह संख्या दूनी करने के लिए परिजनों में भारी उत्साह है। टोली–बद्ध रूप से सभी कार्यकर्ता इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जुट पड़े है।

बिलासपुर - शरद पूर्णिमा का शतवेदी दीपयज्ञ कार्यक्रम प्रभावशाली ढंग से सम्पन्न हुआ। इस पुण्य बेला से विद्यादान अभियान का शुभारंभ प्रौढ़शिक्षा पाठशालाओं के रूप में किया गया। समूचे क्षेत्र में इस कार्यक्रम को चलाने के लिए परिजनों में भारी उत्साह है। समीपवर्ती क्षेत्र में तथा नगर के मुहल्ले मुहल्ले में यह दीप यज्ञ कार्यक्रम चलाने का संकल्प कार्यकर्ताओं ने लिया। अखण्ड ज्योति पत्रिका को अधिकाधिक परिजनों तक पहुँचने की व्यापक व्यवस्था बनाई गई।

उरई - शरद पूर्णिमा से व्यापक स्तर पर दीपयज्ञ कार्यक्रम की श्रृंखला आरम्भ की गई है। श्री ओम प्रकाश चौरसिया की अगुवाई में नित्य प्रति किसी न किसी मुहल्ले में यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा है। कार्यक्रम में सम्मिलित परिजनों से नशा निवारण, दहेज उन्मूलन, प्रौढ़शिक्षा विस्तार तथा वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाने के साथ अखण्ड ज्योति के सदस्य बढ़ाने के संकल्प पत्र भराये जाते है।

शिवपुरी (म0प्र0) - जनता से कोई चन्दा लिए बिना दीपयज्ञ कार्यक्रम विशाल रूप से सम्पन्न होने पर स्थानीय जनता में अभूतपूर्व छाप पड़ी है। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं द्वारा लगभग चार हजार अखण्ड ज्योति पत्रिका के नये सदस्य बनाने का संकल्प लिया गया। लगभग इतने ही स्थानों पर दीपयज्ञ कार्यक्रम कराने का संकल्प भी लिया गया।

कुषीनगर कसिया (उ0प्र0) - दीपयज्ञ कार्यक्रम की श्रृंखला के अंतर्गत श्री कृष्णचन्द्र जैन के यहाँ कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में सम्मिलित परिजनों ने इस वर्ष के निर्धारित कार्यक्रम को कार्यान्वित करने हेतु संकल्प पत्र भरे। आयोजन के दूसरे ही दिन वृक्षारोपण कार्यक्रम के अंतर्गत 250 पौधे लगाये गये।

अजरपुरा, खेड़ा (गुजरात) - समीपवर्ती क्षेत्र में 500 दीपयज्ञ सम्पन्न कराने का संकल्प परिजनों ने शान्तिकुँज में सम्पन्न सम्मेलन में लिया था। अब तक 940 आयोजन सम्पन्न हो चुके। इस कार्यक्रम के प्रति कार्यकर्ताओं तथा स्थानीय जनता का अपार उत्साह देखते ही बनता है। जहाँ भी यह कार्यक्रम सम्पन्न होते है, युग शक्ति गायत्री पत्रिका के नये सदस्य बनाने की ओर कार्यकर्ताओं का विशेष ध्यान रहता है।


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