उपवास से सूक्ष्म शक्ति की अभिवृद्धि

February 1988

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क्द्मद्ग /द्मद्मद्भ.द्मद्म द्दस् द्धस्र द्गह्वह्न"; स्रद्म ह्लद्धशह्व ह्र;द्मद्बद्मद्भ॥द्मद्मह्यह्लह्व ह्लब् क्द्मस्द्भ शद्म;ह्न द्बद्भ द्धह्व॥र्द्मंद्भ द्दस््न;ह्य ह्व द्धद्गब्ह्य ह्द्मह्य द्वद्यस्रद्म ह्लद्धद्धशह् द्भद्दह्वद्म क्द्यश्व॥द्मश द्दस् द्धस्रह्ह्न;ख्म्द्ग स्रद्धह्द्ब; ब्द्मह्यफ् क्द्मस्रद्म'द्म ह्क्रश स्रह्य ह्वद्मद्ग द्यह्य॥द्मद्ध द्यश्वष्द्मह्यद्ध/द्मह् स्रद्भह्ह्य द्दस्ड्ड्न ह्लद्धशह्व द्यड्डश्चद्मब्ह्व स्रह्य द्धब्, ड्ढद्यस्रद्ध द्वद्ब;द्मह्यद्धफ्ह्द्म शद्म;ह्न स्रद्ध क्द्बह्यम्द्मद्म स्रद्दद्धड्ड क्द्ध/द्मस्र द्दस््न शरुह्ह्नह्त्न क्द्मस्रद्म'द्मह्क्रश स्रद्मह्य द्बभ्द्म.द्म'द्मद्धष्ठह् स्रद्म द्बभ्ह्द्धस्र&द्बभ्द्धह्द्धह्वद्ध/द्म स्रद्दह्वद्म क्द्ध/द्मस्र द्वद्ब;ह्नष्ठह् द्दद्मह्यफ्द्म्न ह्लद्धश/द्मद्मद्धद्भ;द्मह्यड्ड स्रद्ध ह्लद्धशह्वद्ध 'द्मद्धष्ठह् स्रद्म द्गह्न[; क्द्म/द्मद्मद्भ;द्दद्ध द्दस््न

द्वद्बशद्मद्य स्रह्य ठ्ठद्मस्द्भद्मह्व ड्ढद्यद्ध द्बभ्द्म.द्म'द्मद्धष्ठह् स्रद्मह्य क्द्मस्र'द्मह्क्रश स्रह्य क्शफ्द्मद्दह्व त्त्द्मद्भद्म क्द्ध/द्मस्रद्मद्ध/द्मस्र द्गद्म=द्म द्गह्यड्ड फ्भ्द्द.द्म द्धस्र;द्म ह्लद्मह्द्म द्दस् ड्ढद्यद्धद्धब्,॥द्मद्मद्भह्द्ध; द्यड्डरुस्रक्वद्धह् द्गह्यड्ड ह्लद्ब&क्ह्वह्न"क्चद्मह्वद्मह्यड्ड र्द्बशं क्र;द्मह्यद्दद्मद्भद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड द्वद्बशद्मद्य स्रद्ध द्गद्दक्रह्द्म द्बद्भ द्धश'द्मह्य"द्म ष्ब् द्धठ्ठ;द्म फ्;द्म द्दस््न;द्मह्यड्ड ह्द्मह्य द्वद्बशद्मद्य स्रद्म॥द्मद्मशद्मस्नर्द्मं द्दस्& द्बद्मश्चह्व द्यड्डरुस्नद्मद्मह्व स्रद्मह्य द्धशछ्वद्मद्ग ठ्ठह्यह्वद्म क्द्मस्द्भ द्यड्डद्धश्चह् द्गब् स्रद्म द्धह्व"स्रद्मद्यह्व स्रद्भह्वद्म] द्बद्भ;द्धठ्ठ ड्ढद्यस्रह्य 'द्मष्टठ्ठद्मस्नर्द्मं द्बद्भ द्धशश्चद्मद्भ स्रद्भह्यड्ड ह्द्मह्य क्स्नर्द्मं द्दद्मह्यफ्द्म द्यद्गद्धद्ब द्भद्दह्वद्म्न द्यद्गद्धद्ब द्धस्रद्यह्य झ्र;द्दद्मंखड्ड क्द्ध॥द्मद्बभ्द्म; द्वद्य द्यख्म्द्ग द्बभ्द्म.द्म द्यक्रह्द्म स्रह्य द्यद्मद्धह्व/; द्यह्य द्दस् ह्लद्मह्य द्बभ्द्मद्ध.द्म;द्मह्यड्ड स्रह्य ह्लद्धशह्व स्रद्म द्गख्ब्॥द्मख्ह् स्रद्मद्भ.द्म द्दस््न द्बह्यंक स्रद्मह्य [द्मद्मब्द्ध द्भ[द्मह्ह्य द्दह्न, क्द्मस्रद्म'द्मह्क्रश स्रह्य द्गद्म/;द्ग द्यह्य द्वद्यस्रद्म क्द्ध/द्मस्रह्द्ग ब्द्म॥द्म द्वक्चद्मह्वह्य स्रद्म द्दद्ध द्धह्वठ्ठर्ह्यं'द्म ड्ढद्य 'द्मष्टठ्ठ द्गह्यड्ड द्धह्वद्धद्दह् द्दस््न /द्मर्द्मंह्वह्न"क्चद्मह्वद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड द्यद्म/द्मह्वद्म&द्धश/द्मद्मह्वद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड ड्ढद्यद्ध स्रद्मद्भ.द्म ड्ढद्यह्य,स्र क्द्धद्भह्वशर्द्म; क्ह्वह्नष्/द्म स्रह्य :द्ब द्गह्यड्ड द्यद्धश्वद्गद्धब्ह् द्धस्र;द्म फ्;द्म द्दस् ह्द्मद्धस्र ड्ढद्यस्रद्म क्द्धह्द्धद्भष्ठह् ब्द्म॥द्म द्धब्;द्म ह्लद्म द्यस्रह्य्न द्बभ्द्म;त्न द्यद्म/द्मह्वद्म&क्ह्वह्न"क्चद्मह्वद्मह्यड्ड स्रद्म द्गह्न[; द्व)ह्य'; ह्लद्धशह्व स्रद्मह्य क्द्ध/द्मस्र द्बभ्[द्मद्भ क्द्ध/द्मस्र द्यद्गस्नर्द्मं ष्ह्वद्मह्वद्म द्दद्मह्यह्द्म द्दस््न ड्ढद्यह्य द्वद्बशद्मद्य त्त्द्मद्भद्म क्ठ्ठक्व'; क्द्मस्रद्म'द्मह्क्रश द्गह्यड्ड द्धशस्त्रद्गद्मह्व द्यख्म्द्ग 'द्मद्धष्ठह्;द्मह्यड्ड स्रद्मह्य क्द्मक्रद्गद्यद्मह् स्रद्भ क्द्ध/द्मस्र द्यद्भब्ह्द्मद्बर्ख्शंस्र द्यश्वद्बह्व द्धस्र;द्म ह्लद्म द्यस्रह्द्म द्दस््न;द्दद्मंखड्ड /;द्मह्व ठ्ठह्यह्वह्य;द्मह्यंग; ष्द्मह्;द्द द्दस् द्धस्र द्बह्यंक द्धह्लह्ह्वद्म [द्मद्मब्द्ध द्भ[द्मद्म ह्लद्म द्यस्रह्य द्वह्ह्वद्म द्दद्ध क्द्मस्रद्म'द्मह्क्रश स्रद्मह्य क्द्ध/द्मस्र द्गद्म=द्म द्गह्यड्ड द्वद्बब्ष्ट/द्म स्रद्भ द्यस्रह्वह्य स्रद्ध द्यश्व॥द्मद्मशह्वद्म द्भद्दह्यफ्द्ध क्द्मस्द्भ द्वद्यद्ध क्ह्वह्नद्गद्मह्व द्गह्यड्ड द्दद्ग ब्द्म॥द्मद्मद्धशह्॥द्मद्ध द्दद्मह्य द्यस्रह्यड्डफ्ह्य्न

इस हिन्दू संस्कृति में ही इतना महत्व मिला हो क्या बात नहीं है। अन्य धर्म-सम्प्रदायों में भी उपवास का अपना विशिष्ट स्थान है। मुसलमानों में रमजान के महीने में रोजा रखने का विधान है। कहा जाता है कि मोहम्मद साहब को तीस दिन की उपवास युक्त साधना के उपरान्त ही दैवी शक्तियों का साक्षात्कार हुआ था। ईसामसीह के बारे में भी विख्यात है कि 40 दिन की उपवास तपश्चर्या के पश्चात ही उन्हें दिव्य अनुभूतियाँ हुई थीं। ईसाई धर्म में अब भी लेण्ट के रूप में ईस्टर पर्व से पूर्व चालीस दिन का उपवास रखने की प्रथा परम्परा है। इसमें व्रतधारी उपवास करता हुआ अपने पापों का प्रायश्चित करता हैं ईसाई समुदाय में ऐसी मान्यता है कि इस प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। जैन धर्म में व्रत उपवास पर्यूषद पर्व के रूप में मना जाता है। यहूदी बौद्ध सिण्टो, ताओ आदि धर्मों में भी किसी न किसी रूप में साधना विधानों के अंतर्गत उपवास किये जाने की परम्परा अभी भी जीवित है।

ह्लद्धशह्व स्रह्य द्धब्, शस्द्यह्य ह्द्मह्य द्बक्वस्नशद्ध ह्लब् क्द्धंगह्व] शद्म;ह्न,शड्ड क्द्मस्रद्म'द्म द्बद्मंखड्डश्चद्मह्यड्ड ह्क्रश द्दद्ध क्द्मश';स्र द्दस्] द्धस्रह्ह्न ड्ढह्वद्गह्यड्ड द्यख्म्द्ग द्बभ्द्म.द्म स्रद्ध द्गद्म=द्म यद्ग'द्मत्न क्द्ध/द्मस्र द्दद्मह्यह्द्ध ह्लद्मह्द्ध द्दस्ड्ड ड्ढद्य ठ्ठक्वद्ध"क द्यह्य क्द्मस्रद्म'द्मह्क्रश स्रद्ध द्गद्दक्रह्द्म,शड्ड द्वद्ब;द्मह्यद्धफ्ह्द्म ष्< ह्लद्मह्द्ध द्दस््न द्वद्बशद्मद्य स्रह्य द्धठ्ठह्वद्मह्यड्ड द्गह्यड्ड ड्ढद्यस्रद्ध क्द्ध॥द्मशक्वद्ध) स्रद्म क्ह्वह्न॥द्मश द्दद्भ ह्र;द्धष्ठह् क्द्बह्वह्य क्ठ्ठद्भ स्रद्भ द्यस्रह्ह्द्म द्दस्ड्ड ड्ढह्व द्धठ्ठह्वद्मह्यड्ड द्धशश्चद्मद्भ.द्मद्म&'द्मद्धष्ठह् क्द्बह्यम्द्मद्मस्रक्वह् क्द्ध/द्मस्र द्यद्गस्नर्द्मं श द्य'द्मष्ठह् ष्ह्व ह्लद्मह्द्ध द्दस्ड्ड्न छ्वश.द्मह्यद्धठ्ठभ्;द्मह्यड्ड,शड्ड?भ्द्मद्म.द्मह्यद्धठ्ठभ्;द्मह्यड्ड स्रद्ध द्यड्डशह्यठ्ठह्व'द्मद्धब्ह्द्म ष्< ह्लद्मह्द्ध द्दस्ड्ड;द्दद्मंखड्ड ह्स्र द्धस्र द्गह्व॥द्मद्ध द्यद्मद्धक्रशस्रह्द्म स्रद्ध क्द्मह्यद्भ द्गह्नरु द्बरुह्द्म द्दस््न द्बद्दब्ह्य द्धह्लद्यस्रद्म द्यह्नरुशद्मठ्ठ ह्र;ड्डह्लह्व स्रद्ध क्द्मह्यद्भ द्गह्व ब्ब्स्रह्द्म स्नद्मद्म ष्द्मठ्ठ द्गह्यड्ड द्वद्यह्य द्यद्मठ्ठद्म॥द्मद्मह्यह्लह्व॥द्मद्ध :द्धश्चस्रद्भ ब्फ्ह्वह्य ब्फ्ह्द्म द्दस््न द्यख्>ष्ख्> द्बभ्क्र;ह्नक्रद्बह्वद्गद्धह् स्रंघद्बह्वद्म'द्मद्धष्ठह् रुद्गद्भ.द्म'द्मद्धष्ठह् क्द्मद्धठ्ठ द्गह्यड्ड॥द्मद्ध रुद्ब"क ष्<द्मह्यक्रह्द्भद्ध ठ्ठक्वद्ध"कफ्द्मह्यश्चद्भ द्दद्मह्यह्द्ध द्दस््न क्द्गह्यद्धद्भस्रद्म स्रह्य द्बभ्द्धद्य) द्यद्मद्धद्दक्र;स्रद्मद्भ क्द्बंकद्मह्व द्धद्यष्ठब्ह्य;द्भ स्रद्म ड्ढद्य द्यड्डष्ड्ड/द्म द्गह्यड्ड ह्र;द्धष्ठह्फ्ह् द्धशद्मद्भ द्दस् द्धस्र ड्ढद्यद्यह्य ह्लद्दद्मंखड्ड 'द्मद्भद्धद्भ द्गह्यड्ड ह्द्मह्लफ्द्ध क्द्मस्द्भ रुक्तख्द्धह् द्गद्दद्यख्द्य द्दद्मह्यह्द्ध द्दस्] शद्दद्ध द्गह्व द्गह्य द्वक्रद्यद्मद्द क्द्मस्द्भ द्वंघब्द्मद्य द्वद्गरुह्द्म द्भद्दह्द्म द्दस््न द्ब<द्मर्ड्ढं द्गह्यड्ड /;द्मह्व द्भद्गह्द्म द्दस्,शड्ड,स्रद्मफ्भ्ह्द्म ष्<ह्वह्य ब्फ्ह्द्ध द्दस््न;द्द द्यष् द्बद्धद्भशह्ह्व द्बभ्स्रद्मद्भद्मक्रह्द्भ द्यह्य द्वद्बशद्मद्य स्रह्य द्ग/; 'द्मद्भद्धद्भ द्गह्यड्ड क्द्मस्रद्म'द्मह्क्रश स्रद्ध क्द्ध॥द्मशक्वद्ध) द्यह्य द्दद्ध क्ह्वह्न॥द्मश द्दद्मह्यह्ह्य द्दस्ड्ड्न

द्गद्दद्मक्रद्गद्म फ्द्मंखड्ड/द्मद्ध ह्वह्य क्द्मक्रद्ग&'द्मद्मह्य/द्मह्व,शड्ड क्द्म/;द्मद्धक्रद्गस्र 'द्मद्धष्ठह्&द्यश्वद्बद्मठ्ठह्व द्दह्यह्ह्न द्वद्बशद्मद्य स्रद्मह्य,स्र द्गद्दक्रशद्बख्.द्मभ् द्वद्बस्रद्भ.द्म ष्ह्द्म;द्म स्नद्मद्म क्द्मस्द्भ द्यद्ग;&द्यद्ग; द्बद्भ शह्य ड्ढद्यस्रद्म ब्द्म॥द्मद्ध॥द्मद्ध द्वक्चद्मह्ह्य द्भद्दह्ह्य स्नद्मह्य्न द्यद्मद्गद्म; ह्र;द्धष्ठह्॥द्मद्ध द्यह्नद्धश/द्मद्मह्वह्नद्यद्मद्भ द्यद्मढ्ढह्द्मद्धद्दस्र] द्बद्मद्धम्द्मस्र;द्म द्गद्मद्धद्यस्र द्वद्बशद्मद्य स्रद्भह्द्म द्भद्द स्रद्भ 'द्मद्भद्धद्भ श द्गह्व 'द्मद्मह्य/द्मह्व स्रद्म द्व॥द्म;&द्बम्द्मद्ध; ब्द्म॥द्म द्दरुह्फ्ह् स्रद्भ द्यस्रह्द्म द्दस््न श"र्द्मं द्गह्यड्ड ठ्ठद्मह्य ष्द्मद्भ ह्वशद्भद्मद्ध= द्वद्बशद्मद्य स्रद्भ ब्ह्यह्वह्य,शड्ड क्द्मद्दद्मद्भ&द्धशद्दद्मद्भ स्रद्म द्यड्डह्ह्नब्ह्व द्धष्क्चद्म;ह्य द्भ[द्मह्वह्य द्यह्य द्दद्भ ह्र;द्धष्ठह् क्द्बह्वह्य 'द्मद्भद्धद्भ श द्गह्व स्रद्मह्य रुशरुस्न;&द्धह्वद्भद्मह्यफ् ष्ह्वद्म;ह्य द्भद्द द्यस्रह्द्म द्दस््न स्रह्नहृ ब्द्मह्यफ्द्मह्यड्ड स्रद्ध द्गद्म;ह्द्म द्दस् द्धस्र,स्र द्धठ्ठह्व॥द्मद्मह्यह्लह्व ह्वद्दद्धड्ड स्रद्भह्यड्डफ्ह्य ह्द्मह्य स्रद्गह्लद्मह्यद्भ द्दद्मह्य ह्लद्म;ह्यफ्ह्य द्बद्भ शरुह्ह्नह्त्न,ह्यद्यद्ध ष्द्मह् ह्वद्दद्ध द्दस््न 'द्मद्भद्धद्भ द्गह्यड्ड ह्लद्मह्य द्धशह्लद्मह्द्ध; ठ्ठद्वभ्ह्र; द्भद्दह्ह्य द्दस् द्वद्बशद्मद्य स्रह्य ठ्ठद्मस्द्भद्मह्व द्वह्वस्रद्म द्धह्व"स्रद्मद्यह्व द्दद्मह्यह्वह्य ब्फ्ह्द्म द्दस्स् ह्लद्धद्धशह्वद्ध 'द्मद्धष्ठह् ड्ढद्यद्ध द्धठ्ठ'द्मद्म द्गह्यड्ड द्वह्व द्धठ्ठह्वद्मह्यड्ड ह्र;; द्दद्मह्यह्वह्य ब्फ्ह्द्ध द्दस्स् क्तब्ह्त्न क्द्मद्भश्व॥द्म द्गह्यड्ड स्रह्नहृ स्रद्गह्लद्मह्यद्भद्ध ब्फ्ह्वद्म रुशद्म॥द्मद्मद्धश द्दस् द्गफ्द्भ;द्द द्धरुस्नद्मद्धह् क्द्ध/द्मस्र द्धठ्ठह्व ह्स्र ह्वद्दद्धड्ड ष्ह्वद्ध द्भद्दह्द्ध द्दस््न ह्लंघठ्ठ द्दद्ध 'द्मद्भद्धद्भ क्द्बह्वह्य रुशद्म॥द्मद्मद्धशह् यद्ग द्गह्यड्ड क्द्म ह्लद्मह्द्म द्दस््न ड्ढद्य द्ग/; स्रद्म;द्मर्ह्यं द्गह्यड्ड स्रह्नहृ म्द्मद्ध.द्मह्द्म क्श'; क्द्म ह्लद्मह्द्ध द्दस् द्धस्रह्ह्न रु;ख्ब्ह्वद्म?द्मंकह्व स्रह्य द्यद्मस्नद्म&द्यद्मस्नद्म द्यख्म्; 'द्मद्धष्ठह्;द्मह्यड्ड स्रद्म॥द्मद्ध द्बभ्द्मठ्ठह्न॥द्मर्द्मंश द्दद्मह्यद्मह्द्म द्दस््न द्गह्न[द्मद्ग.रुब् द्गह्यड्ड क्द्मह्लद्य&ह्ड्डह्लद्य ष्< ह्लद्मह्ह्य द्दस््न फ्फ्द्ध स्रद्म ठ्ठह्नष्ब् 'द्मद्भद्धद्भ स्नद्मस्रद्म&स्नद्मस्रद्म द्यद्म द्गद्धह्व क्द्मस्द्भ द्धह्वरुह्ह्यह्ल द्धठ्ठ[द्मद्मर्ड्ढं द्बरुह्द्म द्दस््न ह्लष्द्धस्र द्यद्म/द्मस्र स्रह्य 'द्मद्भद्धद्भ क्द्मस्द्भ श्चह्यद्दद्भह्य द्बद्भ श्चद्गस्र द्दद्मह्यह्द्ध द्दस््न द्वद्यस्रद्म [द्मद्मब्द्ध द्बह्यंक द्भद्दह्वद्म द्व)ह्य';द्बख्.र्द्मं द्दद्मह्यह्द्म द्दस््न द्वद्यस्रह्य द्यद्मस्नद्म द्वद्यस्रद्म द्यड्डस्रंघद्ब ष्ब् क्द्मस्द्भ ब्म्; ह्लह्नरुद्म द्दद्मह्यह्द्म द्दस् क्ह्त्न द्दद्मस्नद्मद्मह्य द्दद्मस्नद्म द्वद्यस्रद्म द्यक्रद्बद्धद्भ.द्मद्मद्ग॥द्मद्ध क्द्मद्यह्यह्लद्य द्यह्लद्य शर्श्चंद्य द्गह्यड्ड क्द्ध॥द्मशक्वद्ध) स्रह्य :द्ब द्गह्यड्ड द्धद्गब्ह्द्म द्दस््न ह्लष्द्धस्र द्गद्भद्धस्र स्रद्ध द्धह्वद्भद्मद्दद्मद्भ द्धरुस्नद्मद्धह् द्गह्लष्ख्द्भद्ध श'द्म द्दद्मह्यह्द्ध द्दस््न द्वद्यस्रह्य द्गह्व द्गह्यड्ड ड्ढद्यस्रह्य द्बभ्द्धह् ह्व द्यड्डस्रंघद्ब द्दद्मह्यह्द्म द्दस् ह्व द्वद्गड्डफ् द्वक्रद्यद्मद्द द्धह्लद्यद्यह्य ड्ढद्य ठ्ठद्मस्द्भद्मह्व द्वद्यस्रद्ध 'द्मद्मद्भद्धद्धद्भस्र म्द्मद्गह्द्म?द्मंकह्द्ध द्बभ्ह्द्धह् द्दद्मह्यह्द्ध द्दस््न द्धह्व:)ह्य'; क्स्नद्मशद्म क्॥द्मद्मशश'द्म॥द्मख्[द्मह्य द्भद्दह्वह्य शद्मब्ह्य द्वद्बशद्मद्य स्रह्य क्द्म/;द्मद्धक्रद्गस्र ब्द्म॥द्म द्यह्य द्यठ्ठद्म शड्डद्धश्चह् द्भद्द ह्लद्मह्ह्य द्दस्ड्ड ्न क्रुह्ह्न द्धह्लद्दह्यड्ड ड्ढद्यद्यह्य ब्द्म॥द्म ब्ह्यह्वद्म द्दद्मह्य द्वद्दह्यड्ड द्वद्बशद्मद्य स्रह्य द्यद्मस्नद्म द्दद्ध क्द्बह्वह्य द्यड्डस्रंघद्ब स्रद्मह्य॥द्मद्ध ह्लद्मह्यरुह्वद्म श्चद्मद्धद्द, क्द्मस्द्भ ष्भ्द्द−द्गद्म.रु द्गह्यड्ड द्यड्डह्र;द्मढ्ढह् द्बभ्द्म.द्म स्रद्ध क्द्ध/द्मस्रद्मद्ध/द्मस्र द्गद्म=द्म क्द्मस्रद्ध"र्द्मंह् स्रद्भह्वह्य स्रद्म द्बभ्द्यद्मद्य स्रद्भह्वद्म श्चद्मद्धद्द,्न द्वद्बशद्मद्य ह्॥द्मद्ध द्यक्तब् क्द्मस्द्भ द्यक्रद्बद्धद्भ.द्मद्मद्गठ्ठद्म;स्र द्दद्मह्यह्द्म द्दस््न


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