लक्ष्य से भ्रष्ट हो जाय (Kahani)

February 1988

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राहगीर ने पत्थर मारा, आम के वृक्ष से कई पके आम गिरे। राहगीर ने उठाये और खाता हुआ वहाँ से चल दिया।

यह दृश्य देख रहे आसमान ने पूछा - वृक्ष! मनुष्य प्रतिदिन आते हैं, तुम्हें पत्थर मारते हैं। फिर भी तुम इन्हें फल क्यों देते हों?

वृक्ष हंसा और बोला भाई! मनुष्य अपने लक्ष्य से भ्रष्ट हो जाय तो क्या हमें वैसा पागलपन करना चाहिए?


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