मोहक दृष्टि से देख रहा था (kahani)

March 1983

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

बच्चा दिये को बड़ी मोहक दृष्टि से देख रहा था। घर ठहरे मेहमान ने पूछा- ‘मुन्ने, यह प्रकाश कहाँ से आया?’ बच्चे ने उत्तर दिया, ‘भगवान के घर से।’ अतिथि ने जिज्ञासा जतलाई- ‘अच्छा, तुम भगवान को जानते हो तो बताओ वह कहाँ रहता है?, बच्चे ने दीपक को बुझाते हुए कहा- ‘यह प्रकाश जहाँ चला गया वहाँ।’ बच्चे की सरलता ने स्पष्ट किया- अदृश्य प्रकाश के रूप में वही तो कण-कण में विद्यमान है। यही तो सम्भवः उस प्रश्न का उत्तर भी है कि बाल सुलभ निश्चलता की स्थिति में पवित्रता को पाए बिना हम कभी भगवान की उपस्थिति की उसकी सत्ता के हमारे रोम-रोम में बसे होने अनुभूति नहीं कर सकते।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles