जो अपने को सिखा समझा सकता है उसी के लिए यह संभव है कि दूसरों को समझाये और सही रास्ते पर चलाये।
कोई वस्तुतः क्या है? उसकी परख उसकी योग्यता या प्रतिभा से नहीं वरन् उदारता एवं चरित्र निष्ठा के आधार पर की जानी चाहिए।