Quotation

February 1983

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

धैर्य यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी सत्यं सूनुस्यं दया च भगिनी भ्राता मनः संयमः। शय्या भूमितलं दिशोऽपि वसनं ज्ञानामृतं भोजन मेते अस्य कुटुम्बिनो वद सखे कस्माद्भयं जायते॥ -बाण भट्ट

जिसका पिता धैर्य हो, क्षमा जिसकी माता हो, शान्ति जिसकी गृहिणी हो, सत्य जिसका पुत्र हो, दया बहन हो, मन का संयम भाई हो, भूमितल शय्या हो, दिशाएँ वस्त्र हों, अमृतमय ज्ञान ही भोजन हो- इस प्रकार के परिवार से युक्त व्यक्ति के लिए, है मित्र! इस संसार किससे भय होता है? अर्थात् किसी से नहीं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles