व्यसनस्य च मृत्योश्य व्यसनं कष्टमुच्यते।
व्यसन्य धोऽधो व्रजति स्वर्यात्यव्यसनी मृतः॥
दुर्व्यसन और मृत्यु में से दुर्व्यसन ही अधिक कष्टकारक है, क्योंकि व्यसनी मनुष्य पतन के गर्त में गिरता जाता है, जबकि व्यसन रहित मनुष्य स्वर्ग में उन्नति की ओर जाता है।