छन्दः शिक्षा च कल्पश्च तथा व्याकरणानि च। शास्त्रं ज्योतिर्निरुक्तं चाप्याग्नि होत्र कृते कृतम्॥
अर्थात्- छन्द शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष और निरुक्त की संरचना अग्निहोत्र के लिए ही हुई है।