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February 1983

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कायेन संवुता धीरा, अथो वाचाय संवुता। मनसा संवुता धीरा, ते वे सपरि संवुता॥ -धम्मपद

अर्थात्- शरीर, वचन व मन से संयत रहने वाले, बुद्धिमान् मनुष्य ही वास्तव में सुसंयमी कहलाते हैं।


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