भविष्य कथन-असम्भव नहीं

February 1983

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इन्द्रियों की सामान्य क्षमता के आधार पर सामने प्रस्तुत प्रत्यक्ष को वर्तमान में ही देखा जाना जा सकता है। सुनकर या पढ़कर भूतकाल की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं किन्तु भविष्य को जानना सिद्धान्त और व्यवहार दोनों ही दृष्टियों से कठिन पड़ता है। सैद्धान्तिक दृष्टि से इसलिए कि कर्मफल की मान्यता के अनुरूप जो अब किया जा रहा है उसी का परिणाम भविष्य में मिलेगा। फिर भविष्य का पूर्व निर्धारण कैसे हो सकता है? यदि भविष्य निश्चित है तो कर्म पुरुषार्थ की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती।

व्यावहारिक कठिनाई यह है कि ऐसे कोई भौतिक साधन नहीं जो भविष्य का सुनिश्चित ज्ञान करा सकें। ऋतुओं के भावी परिवर्तन की लँगड़ी लूली सम्भावनाएँ ही इन दिनों वातावरण की जानकारी देने वाले यन्त्र प्रकट करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त किस मनुष्य का भविष्य क्या है? क्या घटना क्रम कब किसी रूप में घटित होने वाला है इसका पूर्व परिचय किस आधार पर मिले। बुद्धि से अटकल भरे अनुमान ही लगा सकते हैं। कम्प्यूटर किसी निर्धारित सिद्धान्त के अनुरूप गणितीय निष्कर्ष ही प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐसी दशा में भविष्य कथन की सम्भावना गले नहीं उतरती। फलित ज्योतिष के नाम पर ग्रह गणित करने वाले कुछ अटकल पच्चू लड़ाते रहते हैं। पर उस अन्धेरे में ढेला फेंकने वालों की स्वयं भी अपने कथन पर भरोसा नहीं होता। फिर दूसरों से कुछ विश्वास पूर्वक कह सके ऐसी स्थिति उनकी कहाँ होती है। इस व्यवस्था का दिन-दिन अवमूल्यन होता जा रहा है। बुद्धिवाद के जमाने में यही स्वाभाविक भी है।

फिर पूर्वाभास में भविष्य कथन के जो सही उदाहरण सामने आते रहते हैं उनका कारण क्या हो सकता है? उसका तथ्य संगत उत्तर एक ही हो सकता है- अध्यात्म स्तर की विशेषता। दिव्य दृष्टि। वह अदृश्य जगत की हाँडी में पकती हुई भावी सम्भावनाओं का स्वरूप और समय जान सकता है। कर्म का प्रतिफल, समय साध्य है। इस मध्यवर्ती अवधि में यह पता चलाना कठिन पड़ता है कि किस कृत्य की परिणति कितने समय में किस प्रकार किस स्थान में होगी। इतने पर भी उसका स्वरूप बहुत कुछ इस स्थिति में होता है कि कोई दिव्यदर्शी उसका पूर्वाभास प्राप्त कर सके। यह सम्भावना है भी या नहीं, इस संदर्भ में कितनी ही महत्वपूर्ण साक्षियाँ समय-समय पर सामने आती रहती हैं।

लेडी चारलौट किंग अपनी अतीन्द्रिय क्षमताओं के कारण विश्व-विख्यात हैं। उनका निवास स्थान सलेन नामक स्थान पर यू.एस.ए. के और्गन प्रदेश में है। आने वाली गाड़ियों की ध्वनि को तो वह सबसे पहले सुनकर बता ही देती हैं लेकिन एक और विलक्षणता की कड़ी उनके जीवन में अविच्छिन्न रूप से जुड़ी हुई है वह है- भूकम्पों का पूर्वाभास। जिन भूकम्पों के आने से पूर्व ही चारलौट ने जो भविष्य वाणियाँ कीं वह बिल्कुल प्रमाण सिद्ध होकर रही हैं।

6 अगस्त 1979 को होलिस्टर (कैलीफोर्निया), इसी वर्ष 12 सितम्बर को न्यू जूनिया, 24 जनवरी, 1950 को लिवरमोर (कैलीफोर्निया), तथा 3 मार्च 1980 को यूरेका (कैलीफोर्निया) में आने वाले भूकम्पों का लैडी चारलौट ने पूर्व उद्घोष किया था।

लेडी चारलौट ने बताया कि जैसे ही भूकम्प आने वाला होता है तो उसके मस्तिष्क में गहन और बारम्बार लय जैसी आवृत्ति बनती चली जाती है। जब भूकम्प तेज होने की स्थिति होती है तो लेडी का सिर दर्द होने लगता है। चार वर्षों में 80 से भी ऊपर ऐसी घटनाओं को वह स्पष्ट रूप से बता चुकी हैं।

पिक्चर ऑफ डोरियन डे के लेखक आक्सर वाल्ड का भविष्य कथन करते हुए काइरो ने कहा था कि आप जल्दी ही जेल जायेंगे तब तो उन्होंने यही समझा कि यह कोरी गप्प है, इस तरह डराकर रकम ऐंठना चाहता है किंतु एक काण्ड में वे ऐसे फँसे कि आजीवन कारावास की सजा मिली।

इसी प्रकार 1897 में रूस के सम्राट जार ने अपना हस्त चित्र भेजकर यह प्रकट नहीं किया कि यह किसका चित्र है किन्तु काइरो ने चित्र की पीठ पर लिखा। आप बीस वर्ष उपरांत शासन सत्ता से अलग कर दिये जायेंगे और आपका परिवार रोमाँचकारी मृत्यु से मरेगा। घटना उसी प्रकार हुई जैसे चित्र पर 20 वर्ष पूर्व अंकित कर दिया गया था।

इंग्लैण्ड के सम्राट सप्तम एडवर्ड के सम्बन्ध में वे उनके राजतिलक की तिथि प्राण घातक बीमारी की बातें सही सिद्ध हुईं। महारानी विक्टोरिया को मृत्यु दिवस की जानकारी बहुत समय पूर्व दे दी गई थी। अष्टम एडवर्ड की प्रणय लीला और राज त्याग की प्रसिद्ध घटना की घोषणा वे वर्षों पहले कर चुके थे।

भारत के विशिष्ट व्यक्ति जिनकी हस्त रेखाएँ देखीं वे एनीसेन्ट, स्वामी विवेकानन्द, मोतीलाल नेहरू, कर्नल आर्थर, लार्ड किचनर, आदि थे। उनसे वे बहुत प्रभावित हुए।

अपनी पुस्तक “विश्व का भविष्य” में भारत की स्वतन्त्रता, गृह युद्ध, पाकिस्तान की स्थापना, शरणार्थी समस्या, साम्प्रदायिक हिंसा आदि पर जो भी लिखा वह अक्षरशः सत्य सिद्ध हुआ।

घटना फरवरी 1965 की है। रोनाल्ड आर्थर जार्ज होटल में नाश्ते के लिए गये क्योंकि वहाँ एक ऐसी लड़की काम करती थी जो भविष्य बता सकती थी। रोनाल्ड को भूत की बातें बताईं वे अक्षरशः सत्य थी और आगे की बातें बताते एकाएक लड़की रुक गई तो रोनाल्ड ने पूछा मेरा भविष्य क्या होगा। लड़की बोली दुर्भाग्य- कि नवम्बर के बाद आपका कोई भविष्य ही नहीं है, सच में उसी वर्ष नवम्बर में रोनाल्ड चल बसे।

फिलिप को एक भविष्य वक्ता ने कहा कि स्पेन का राजवंश 24 पीड़ियों तक ही चलेगा उसने विश्वास कर पूर्व ही 24 कब्रें तैयार करा दीं।

सन् 1929 में मैरिया क्रिस्टीना की मृत्यु हुई वह 20वीं और ‘अलफोनो’ दो वर्ष उपरांत राज गद्दी से उतार दिया वह 24वाँ अन्तिम राजवंश का शासक था इसके बाद स्पेन में गणतन्त्र स्थापित हो गया। शताब्दियों पूर्व की भविष्य वाणी अक्षरशः सत्य सटीक निकली।

वैरान विलेन्यूफ नामक एक फ्राँसीसी पर्वतारोही सन् 1854 में आल्पस पहाड़ के एलेटश ग्लेशियर पर चढ़ाई की योजना बनाकर अपने दल के साथ चढ़ा। चढ़ने से पूर्व उसने एक भविष्य वाणी नोट कराई जो बाद में सच निकली। उसने लिखा था- “दल का कोई सदस्य हिमि स्खलन में दब सकता है। दबेगा तो उसकी लाश का पता लगाना सम्भव न होगा। हाँ 33 साल बाद ऐसी स्थिति आयेगी कि बर्फ पिघल जायेगी और लाश ऊपरी रखी मिलेगी। ठीक वैसा ही हुआ भी। वह स्वयं ही बर्फ में दब गया। लाश कहीं नहीं मिली। पर भविष्य वाणी के अनुसार 33 वर्ष बाद खोजी वहीं पहुँचे तो लाश पूर्ण सुरक्षित रखी हुई थी। ठण्डक के कारण उसमें कोई सड़न या विकृत उत्पन्न नहीं हुई थी।

जोर्डन (खाव) के भविष्य वक्त शेख अब्दुलरजा ने एक बार भविष्य वाणी की थी कि जोर्डन के शासक अब्दुल्ला का कत्ल होगा। बताये हुए समय सन् 1951 में वह घटना उसी रूप में घटित हुई। भविष्य वक्ता की शक्ति की जहाँ सराहना हुई वहाँ उन पर षड़यन्त्र में सम्मिलित होने का लाँछन भी लगाया गया। खिन्न होकर उनने 13 वर्ष का मौन धारण कर लिया और फिर लाख कहने पर भी इतने दिन तक किसी से नहीं बोले।

कोरीलीना में मिल फोर्ड कालेज बना। उसके लिए एक व्यक्ति ने एक हजार डालर दान देने का वचन दिया। पूछा गया कि वह वचन कब पूरा होगा? तो उसके उत्तर में उसने निश्चिंतता पूर्वक कहा, अभी अपना जहाज ह्वेल के शिकार पर गया है। आज ही वह 800 मील दूर न्यूवेड फोर्ड बन्दरगाह पर लगा है। उसमें ह्वेल का तेल भरा है। जहाज एक सप्ताह में आ जायेगा। आते ही वह वचन की राशि चुका देगा।

उन दिनों टेलीफोन जैसी व्यवस्था नहीं थी। उसके भविष्य कथन को सनक माना गया पर बात सच निकली। तेल से भरा जहाज यथा समय पहुँचा। आते ही उसने राशि चुकादी।

थाईलैंड के राजा फ्याकाँग ने अपना प्रथम पुत्र जन्मते ही यह भविष्य वाणी की थी कि बड़ा होने पर पुत्र ही उसकी हत्या करेगा। दरबारियों ने उसकी आशंका का समर्थन नहीं किया। बालक लाड़-चाव में पलता रहा। युवा होने पर उसने बाप को गद्दी से उतारकर स्वयं सिंहासनारूढ़ होने के लोभ में उसकी हत्या कर ही दी। जिन्हें स्मरण था उनने चर्चा की कि राजा यह भविष्यवाणी तीस वर्ष पूर्व ही कर चुका था।

स्काटलैण्ड के राजा अलेक्जेण्डर तृतीय को किसी भविष्य वक्ता ने बताया कि उसकी मृत्यु घुड़सवारी के समय घोड़ा बिदकने से होगी। उसने इस सम्भावना का अनुमान वर्तमान घोड़े से लगाया और उसे मरवा दिया। कुछ दिन बाद दूसरे घोड़े पर वह बाहर जा रहा था कि रास्ते में एक अजूबा देखकर घोड़ा ऐसा बिदका कि उछलकर पास के गड्ढे में जा गिरा। राजा और घोड़ा दोनों ही मर गये।

एक फ्रांसीसी नाविक वोटिनो सन् 1762 में मैरिसस में जहाजी व्यवस्था के लिए नियुक्त किया। उधर से कम ही जहाज निकलते थे इसलिए काम कम रहता। उन दिनों जहाजों के पूर्व आगमन की सूचना मिल सके ऐसी टेलीफोन रेडियो जैसी व्यवस्था नहीं थी। चौकसी रख कर ही जानकारी पाई और व्यवस्था की जाती थी। बेटिनो ने दिव्य दृष्टि का अभ्यास आरम्भ किया। कुछ दिन में उसने वह क्षमता विकसित कर ली और कई दिन पूर्व जहाजों के आगमन, स्वरूप समय की सही जानकारी देने लगा।

सन् 1778 से लेकर 1782 तक के चार वर्षों में उसने 575 जलयानों के आगमन की पूर्व सूचनाएँ बताईं और वे सभी सही थीं। इस विशेषता के उपहार में फ्रांस सरकार के गवर्नर का पद और विपुल धन दिया।

इटली के अल्बर्टो अस्करी 8 सितम्बर 1935 को अपने पिता एन्टोनिया अस्करी के साथ कार रेस में दौड़ रहे थे, उस समय उनकी आयु 16 वर्ष थी। वायलोन के घने जंगल को पार करते समय एक काली बिल्ली सामने से गुजरी जिसे बचाने के लिए एन्टोनियो ने स्टीयरिंग घुमाया, तीव्र गति से दौड़ रही कार अनियन्त्रित होकर एक पेड़ से टकराई। एन्टोनियो की उसी समय मृत्यु हो गयी। 16 वर्षीय अल्बर्टो को उसी समय ऐसा लगा कि 20 वर्ष बाद जब वह 36 वर्ष का होगा तो उसकी भी मृत्यु इसी प्रकार होगी।

समय बीतता गया, 1953 और 1954 में अल्बर्टो ने तेज कार चलाने की प्रतियोगिता में सर्वप्रथम आने का पुरस्कार भी प्राप्त किया किन्तु 1955 में जिन दिनों वह पुनः ‘कार रेस’ में भाग लेने की तैयारी कर रहे थे, 20 वर्ष पुरानी 8 सितम्बर 1935 की घटना याद हो आयी और निश्चित तिथि से अपने पिता एन्टोनियो की तरह चार दिन पूर्व तबियत भी खराब हुई। उसकी इच्छा कार-रेस में भाग लेने की नहीं हो रही थी, परन्तु उसके प्रशिक्षक भूतपूर्व काररेस चैम्पियन बिल्लोरसी ने उसके आभास को अन्ध विश्वास कहकर फटकार भी लगाई। अस्तु अल्बर्टो ने नियत समय पर रेस के लिए अपनी कार चालू की। कार जब वायलोन के उसी जंगल से गुजर रही थी, 20 वर्ष पूर्व वाले दृश्य के अनुसार एक काली बिल्ली ने रास्ता काटा और बचाने के चक्कर में उसकी कार पेड़ से जा टकराई, अल्बर्टो की वहीं मृत्यु हो गई।

मार्टिन इबोन ने अपनी पुस्तक “डू एक्सपीरियन्स इन प्रोफेसी” में कई प्रामाणिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए यह सिद्ध किया है कि मनुष्य के भीतर अद्भुत अलौकिक और विलक्षण क्षमताएँ हैं। उन क्षमताओं के माध्यम से भूत, भविष्य, वर्तमान को देश, काल की सीमाओं से परे जाकर भी देखा जा सकता है।

न्यूरो साइक्रेट्रिक संस्थान कैलीफोर्निया के डायरेक्टर डॉ. क्रेग ने अपने विस्तृत शोध प्रबन्ध में कु. एडम तथा निएशन नामक दो लड़कियों की विलक्षण अतीन्द्रिय क्षमता पर किये प्रयोगों का विस्तृत विवरण लिखा है। ये दोनों लड़कियाँ किसी भी वस्तु को छूकर उससे सम्बन्धित अत्यन्त गोपनीय रहस्य तथा भूत, वर्तमान और भविष्य का हाल ऐसे बता देती थीं मानो अपने सामने रखी हुई किसी पुस्तक को पढ़ रही हों।

कैलीफोर्निया के लॉस गेटोस शहर में ‘क्लेरिसा वर्नहर्ड’ को ‘अर्थक्वेकलेडी’ के नाम से पिछले एक दशक में भारी ख्याति मिली है। भूकंपों की पूर्व जानकारी देने में वह सक्षम है। समय-समय पर उसने भूकम्पों की कितनी ही भविष्यवाणियाँ कीं जो समय एवं स्थान के हिसाब से बिल्कुल सही निकलीं। कितनी बार उसके भविष्य बोध का प्रसारण सीधे रेडियो, टेलीविजन के माध्यम से भी हुआ है।

वर्ष 1974 को नवंबर माह में उसको एक ऐसी ही भविष्य वाणी का प्रसारण हुआ। अधिकारी गण भी रेडियो एवं टेलीविजन सेवाओं से प्रसारण की अनुमति इस कारण देते हैं क्योंकि उसके पूर्ववर्ती कथन अपने समय पर सच निकल चुके हैं। नवम्बर माह में रेडियो एवं टेलीविजन दोनों ही प्रसारणों से वर्नहर्ड ने अपनी दिव्य दृष्टि से खबर दी कि 28 नवंबर, बृहस्पतिवार, दोपहर ठीक तीन बजे मध्य तटवर्तीय क्षेत्र में भूकम्प का एक तीव्र झटका अनुभव किया जायेगा, पर किन्हीं अविज्ञात कारणों से कोई विशेष क्षति नहीं होगी। 28 नवंबर की दोपहर को भूकम्प आया। पोलिस रेडियो स्टेशन का संपर्क अन्य क्षेत्रों से टूट गया तथा समीपवर्ती क्षेत्रों में अत्यन्त सामान्य नुकसान हुआ। जन हानि की कोई घटना प्रकाश में नहीं आई। भूकम्प का समय तीन बजकर एक मिनट रिकार्ड किया गया। इस तरह क्लेरीसा के कथन में मात्र एक मिनट का अन्तर आया।

क्लेरीसा ने वर्ष 1975 के आरम्भ में ही कहा कि ‘इस वर्ष प्रमुख रूप से दो भूकम्प आयेंगे। 29 नवम्बर को उत्तरी गोलार्ध में और 25 मई को दक्षिणी गोलार्ध में। उत्तरी गोलार्ध वाले भूकम्प का स्थान हवाई द्वीप समूह होगा। उक्त कथन पूरी तरह सही निकला। भूकम्प के तीव्र झटके से हवाई द्वीप समूह भयंकर सर्वनाश का शिकार बना।

दिव्य दृष्टि सम्पन्न व्यक्तियों में हेरोल्ड शर्मन को भी प्रसिद्धि मिली। सन् 1915 में उस मनुष्य की अतीन्द्रिय सामर्थ्यों का परिचय मिला। उस समय से ही वह उन्हें करतलगत करने का अभ्यास करने लगा। धीरे-धीरे उसे सफलता मिलने लगी। एक शाम वह अपने कमरे में बैठा टाइप कर रहा था। अन्धेरा हो चला था। वह प्रकाश करने के लिए स्विच खोलने के लिए उठा। जैसे ही स्विच तक पहुँचा, अपने ही भीतर से एक आवाज आयी ‘लाइट मत खोलो’। इस प्रकार का उसका पहला अनुभव था कि अपनी ही सत्ता के भीतर से स्पष्ट निर्देश मिल रहा हो। वापिस वह टाइप करने पुनः बैठ गया पर अन्धेरे के कारण कुछ सूझ नहीं रहा था। सोचा कि वह निर्देश मन का भ्रम भी हो सकता है, दुबारा वह स्विच बोर्ड के पास स्विच दबाने चला।’ पर इस बार पहली बार से भी अधिक स्पष्ट उसी निर्देश की पुनरावृत्ति हुई। ठीक उसी समय किसी व्यक्ति के नीचे दौड़ने की आवाज आयी। कोई धड़ाधड़ दरवाजा खटखटाने लगा। वह दरवाजा पीटने के साथ-साथ तेज आवाज में बोलता भी जा रहा था कि “लाइट मत जलाना। हाई वोल्टेज लाइन के साथ आपकी लाइन अकस्मात जुड़ गयी है” बाद में मालूम हुआ कि वह लाइनमैन था तथा दौड़ता हुआ यह सूचना देने के लिए ही आया था। यदि शर्मन स्विच दबाता तो भयंकर संकट उपस्थित हो सकता था। उसे उस दिन के बाद समय समय पर भविष्य की कितनी ही बातें पहले ही मालूम हो जाती थीं जिसका उल्लेख प्रायः वह अपने निकटवर्ती मित्रों से करता रहता था।

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डा. नेल्सन वाल्टर का कथन है कि मनुष्य के अन्दर एक बलवती आत्म चेतना रहती है, जिसे जिजीविषा एवं प्राणधात्री शक्ति कह सकते हैं। यह चेतन-जगत के गर्भ में पक रही उन हलचलों-घटनाओं का पूर्वज्ञान प्राप्त करने में सक्षम है जो आगे विपत्ति बनकर आने वाली है।

भविष्य बोध असम्भव नहीं, पर उतना ही सच यह भी है कि जितना सुगम प्रायः समझा जाता है उतना है नहीं। भविष्य वाणियों के नाम पर तथाकथित भविष्य वक्ता जन-मानस को गुमराह करते हैं। पर इतने पर भी सच्चाई अपने स्थान पर है। आत्म विद्या के क्षेत्र में वे सूत्र विद्यमान हैं जिनका अवलंबन लेकर तथा साधना का मार्ग अपनाकर वह क्षमता भी विकसित की जा सकती है जिसे दिव्य दृष्टि के नाम से अध्यात्म जगत में जाना जाता है।


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