हमें अन्तरिक्ष में उड़ने का शौक तो लगा है, पर पैरों तले की जमीन के नीचे क्या है यह देखना भूल ही गये हैं। समुद्र की तलहटी में इतने बहुमूल्य रत्न भरे पड़े हैं जिन्हें अब तक मनुष्य के हाथ लगे हीरे, पन्नों की अपेक्षा कई गुना कहा जा सकता है। पृथ्वी पर जितनी धातुएँ मौजूद हैं उससे हजारों गुनी मात्रा में वे समुद्र में दबी पड़ी हैं। समुद्री खाद्य पदार्थों का यदि उपयोग किया जा सके तो वे पृथ्वी की उपज से कम नहीं अधिक ही बैठेंगे। ऐसे सम्पत्ति भण्डार की उपेक्षा करके शून्य आकाश में विचरना और निर्जीव ग्रह-नक्षत्रों के चक्कर काटना वैज्ञानिकों का चिन्तन दोष है जिसे सुधार कर अपव्यय को उपयोगिता की दिशा में मोड़ा जा सकता है।
-स्काट कारपेन्टर
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अपनो से अपनी बात