प्रेम रूपी वाटिका में पुष्प खिलते हैं और सारे वातावरण को सुगन्ध से भर देते हैं। जीवन भी एक ऐसा ही पुष्प है, जिसके बिखर जाने से चारों ओर मादकता का वातावरण छा जाता है। जीवन के कुछ स्तम्भ हैं, जिनके आधार पर सारा जीवन टिका है, अगर ये स्तम्भ कमजोर हैं तो जीवन का कोई महत्व नहीं है।
ये आधार हैं दृढ़ संकल्प, आत्म-विश्वास, निश्चित उद्देश्य, अनुकूल वातावरण सही विचार इन्हीं शक्तियों पर जीवन का ढाँचा निर्भर होता है। अगर ये आधार हमारे अंदर हैं तो सही, परन्तु कमजोर है तो भी सफलता मिलना असम्भव है। जब हम किसी महापुरुष की जीवनी का अध्ययन करते हैं तो सबसे पहले इन्हीं बातों को देखते हैं कि वे कौन सी शक्तियाँ हैं जिन्होंने जीवन को पराकाष्ठा पर पहुँचा दिया।
दृढ़ संकल्प में बड़ी अद्भुत शक्ति होती है जो मनुष्य के जीवन का काया पलट कर देती है। जिस व्यक्ति पर दृढ़ संकल्प का भूत सवार हो जाता है वह उन्नति के लगभग सभी द्वारा खोल लेता है। पैदा होने पर सब मनुष्य समान हैं। सभी के अंग लगभग समान ही हैं। फिर क्या कारण है कि एक तो राजा है, दूसरा भिखारी, एक गरीबी को पाल रहा है तो दूसरा हमेशा के लिये विदा कर रहा है।
एक व्यक्ति जिन्दगी भर भार बनकर जीता है तो दूसरा करोड़ों का भार अपने सिर पर लेता है इतना भारी अन्तर मनुष्य-मनुष्य में क्यों होता है? इतनी बड़ी विषमता का कारण है दृढ़ संकल्प की कमी जिसके कारण साधन सम्पन्न होते हुए भी कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं कर पाते हैं। भावुकतावश कार्य प्रारम्भ तो कर देते हैं परन्तु जहाँ थोड़ी सी कठिनाई आई कि कार्य को बीच में ही छोड़ देते हैं।
उदाहरण के लिए हम उस बढ़ई के लड़के से मिलेंगे जिसने खेल-खेल में जज की कुर्सी पाई थी। पिता के कहने पर उसने दृढ़ संकल्प किया था कि मैं इस कुर्सी पर बैठने के योग्य अपने को बनाकर ही रहूँगा, दृढ़-संकल्प ने सफलता के द्वार खोल दिये वही लड़का एक दिन जज बना।
जीवन में सफलता पाने के लिए आत्म-विश्वास उतना ही जरूरी है जितना जीने के लिए भोजन, कोई भी सफलता बिना आत्म-विश्वास के मिलना असम्भव है। आत्मविश्वास वह शक्ति है जो तूफानों को मोड़ सकती है, संघर्षों से जूझ सकती और पानी में भी अपना मार्ग खोज लेती है। जीवन के किसी भी पहलू का देखें तो आत्मविश्वास के बिना अधूरा ही दिखाई पड़ेगा। एक विद्यार्थी बड़ा अध्ययनशील है अपने कर्त्तव्यों के प्रति हमेशा सजग रहता है परन्तु परीक्षा हाल में प्रवेश करते ही अपना आत्म-विश्वास खो बैठता है, परिणाम स्वरूप वह परीक्षा में असफल हो जाता है। जबकि दूसरा विद्यार्थी कम अध्ययनशील होते हुए भी आत्म-विश्वास के बल पर अच्छे नम्बर ले आता है। कारण क्या था ? जिसके परिणाम स्वरूप पहला विद्यार्थी परीक्षा में फेल हो गया और दूसरा विद्यार्थी उत्तीर्ण हो गया। आत्म-विश्वासी दुनिया का सबसे बड़ा व्यक्ति माना जाता है। जिसकी एक आवाज पर करोड़ों व्यक्ति साथ हो जाते हैं। दूसरा व्यक्ति आत्मविश्वास के अभाव में घर से बाहर निकलने में भी शंका पैदा कर लेता है।
जो व्यक्ति जो कुछ बनने की इच्छा अपने हृदय में संजोये रहता है, बाहरी परिस्थितियाँ उसके चारों ओर उसी प्रकार की इकट्ठी होने लगती हैं। जिसने अपना उद्देश्य महान बनाया वह महान बनेगा, जिसने उद्देश्य में शंका, अविश्वास किया उसके पैर लड़खड़ायेंगे, उसे सफलता मिलना असम्भव है।
हर व्यक्ति अपनी कामनाओं को साकार रूप दे सकता है बशर्ते वह अपनी इच्छाओं के प्रति ईमानदार हो। इच्छाएँ अपने अनुरूप होनी चाहिएं, कल्पना के रंगीन महल बनाने की अपेक्षा अपनी टूटी-फूटी झोंपड़ी को महत्व देना चाहिए। लिंकन ने दासों को मुक्त करने की इच्छा की थी जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने सारी शक्ति से कार्य किया और वे उद्देश्य में सफल हो गये। ये थी उनकी शक्तिशाली इच्छाशक्ति जिसने दासों को आजाद कराया।
जिज्ञासा सबसे बड़ा गुण है। महत्वाकाँक्षी होना अच्छा है परन्तु सही मार्ग खोजने के लिए, न कि बुराइयों को प्रोत्साहन देने के लिए। ज्ञान की भूख पूरी करने और सही ओर ले जाने से मनुष्य विद्वान बन जाता है। धर्म की इच्छा करने से मनुष्य देवता बन जाता है। हम चारों और सफलताएँ देखते हैं वे सब इच्छा शक्ति पर निर्भर रहती हैं।
हर व्यक्ति को स्वतन्त्र चिन्तन करने का अधिकार है, रुचि के अनुसार व अपना कार्य कर सकता है। जिसके लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता है। लिंकन जब अपना खेत जोत रहे थे तो अचानक किसी अज्ञात शक्ति ने उन्हें पुकारा लिंकन यह काम तेरे योग्य नहीं है, आत्मा की आवाज को सुना, मनन किया और वहीं पर बैलों की जोड़ी को छोड़कर निकल पड़े, विकास का द्वार खटखटाने; जिसका नतीजा दासों को मुक्त करवाना था।
ऐसा आज तक नहीं हुआ है कि गलत वातावरण में रहकर कोई अपना विकास कर सका हो। जो व्यक्ति हमेशा निराशा के वातावरण में रहा हो उसे आशा के दीप दिखाना मुश्किल है। यदि आप अपने बच्चे को सफल नागरिक के रूप में देखने की अभिलाषा करते हैं तो असफलता और उत्साहहीनता के सभी विचारों की सब धाराओं को फाड़ दीजिये। जिन मनुष्यों ने संसार में सफलताएँ प्राप्त की हैं वे अनुकूल वातावरण से काफी प्रभावित रहे हैं।
जीवन में सफलता पाने के लिए श्रद्धा का बड़ा महत्व है। हमारी श्रद्धा प्रायः हमें बताती है कि जब आगे कोई रोशनी नहीं होती, तब हम अन्धेरे में ही सुरक्षित रहकर आगे बढ़ सकते हैं। श्रद्धा एक दैवी दर्शन है जो कभी हमें गलत दिशा में नहीं ले जा सकती है। केवल यह दृढ़ निश्चय होना चाहिए कि श्रद्धा ही हमें निश्चित लक्ष्य पर पहुँचा के रहेगी।
अगर हमें उत्कृष्ट जीवन व्यतीत करना है तो विचारों को सही दिशा में ले जाना होगा। विचारों में बहुत बड़ी शक्ति होती है। एक व्यक्ति अपने विचारों को सागर के समान विशाल बनाये रखता है, परिस्थितियाँ उसकी दासी बनकर चक्कर लगाया करती हैं, दूसरी और संकीर्ण विचारों वाला व्यक्ति जो अस्तित्वहीन, दिशाहीन, उदासी से घिरा हुआ समय के गाल में समा जाता है। अगर हमें भारत का भविष्य बनाना है तो आने वाली पीढ़ी को विचारों का चमत्कार बताना होगा।
विचारों की शक्ति एटमों से अधिक होती है। जीवन का महत्व क्या है? इसे जानना हो तो विचारों का संकलन करना होगा और उन्हें सही दिशा देनी होगी तभी हम भविष्य की सुनहरी कल्पना कर सकते हैं। विचारों के अभाव में कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता है।
इसलिए जीवनरूपी उपवन में दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास, निश्चित उद्देश्य, प्रेम परोपकार रूपी पुष्प खिलने चाहिएं, तभी जीवन सार्थक माना जावेगा। भार स्वरूप जीना कोई जीना नहीं है और ऐसे जीवन का कोई महत्व नहीं है।
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