Quotation

May 1975

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

शान्ति तुल्य तपो नास्ति नसन्तोषात्पर सुखम्। न तृष्णायाः परोव्याधिर्नच धर्मो दया परः॥

इस संसार में शान्ति के समान कोई अन्य तप नहीं है, सन्तोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है। तृष्णा से बड़ी कोई दूसरी व्याधि नहीं हैं और दया के समान कोई धर्म नहीं है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles