दृढ़ इच्छा शक्ति एक चमत्कारी उपलब्धि

May 1975

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मानव जीवन में जो क्रियाशीलता है, उसका आधार है- शक्ति। शक्ति के बिना वह कोई भी कार्य करने में सफल नहीं हो सकता है। शक्ति की आवश्यकता सबको है और रहेगी। क्या बलवान और क्या निर्बल, सभी शक्ति प्राप्त करने की इच्छा एवं प्रयत्न करते हैं।

जब हम कोई कार्य करना चाहते हैं तो हमारे मन में एक इच्छा उत्पन्न होती है। उस इच्छा के अनुरूप हम अपनी इन्द्रियों की सहायता से उस कार्य को सम्पन्न करते हैं। मन का एक नाम इन्द्र भी है- वह इन्द्रियों का स्वामी है। इसलिये उसका नाम इन्द्र पड़ा। तो मन की वह इच्छा शक्ति ही मानव जीवन का आधार है। वही हमारी प्रवृत्तियों की नियामक, हमारे कर्मों की आधार, हमारी भाग्य-विधात्री देवी है।

मानव जीवन की सफलता-असफलता, उन्नति-अवनति आदि में इच्छा शक्ति की प्रक्रिया ही मुख्य है। प्रबल इच्छा शक्ति होने पर मनुष्य बड़े-बड़े एवं असम्भव कार्यों को पूरा कर लेते हैं। महाराणा प्रताप ने जंगल-जंगल भटककर मुगलों से लोहा लिया। नेपोलियन के सिपाही संसार में किस प्रकार तहलका मचा सके? सिकन्दर विश्व विजयी कैसे बना? क्रांतिकारियों ने एक से एक खतरनाक षड़यंत्रों को किस आधार पर कार्यान्वित किया? हंसते-हंसते फांसी के तख्तों पर झूल जाने की प्रेरणा व शक्ति उनमें कहां से आई? यह सब दृढ़ इच्छा शक्ति के ही परिणाम हैं।

संसार के समस्त श्रेष्ठ कार्यों के पीछे भी इच्छा-शक्ति का प्रवाह ही काम कर रहा है। दृढ़ इच्छा-शक्ति मानव जीवन की सम्पदा है, उसे जागृत करने का प्रयत्न करें। इच्छाशक्ति की सफलता में एक अन्य दैवी शक्ति भी क्रियाशील रहती है। वह है- निमार्ण शक्ति। इसके सहयोग से मनुष्य हर कार्य को बड़ी सफलता व श्रेष्ठता पूर्वक सम्पन्न करता जाता है। जीवन निर्माण की आधारभूत शक्ति यही है। भारत का प्राचीन आदर्श-ऋषि, मुनियों, संतों की माटी- इस देश में हमेशा से रचनात्मक शक्ति को सदैव दिशा एवं प्रेरणा प्रदान करती रही है, उन्हीं कार्यों की प्रशंसा की गई है।

इच्छाशक्ति, उद्देश्य एवं ईश्वर-विश्वास के आधार पर मनुष्य अपनी लक्ष्य-सिद्धि कर सकता है। अपने जीवन में सफलता चाहने वाले व्यक्ति इस त्रिशक्ति के आधार पर अपना कार्य आरम्भ करें तो प्रतिकूलताएं, कठिनाइयां जो कभी निराश एवं हताश कर देती थीं, हमें अपने मार्ग में आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगी।

विज्ञान के आविष्कार, जीवट के कार्य, चांद की खोज, एवरेस्ट-विजय, ग्रह-नक्षत्रों के यात्रा कार्यक्रम आदि सभी दृढ़ इच्छा शक्ति, मनोबल के परिणाम हैं। दृढ़ प्रतिज्ञ होने के लिये भी इच्छा शक्ति की दृढ़ता का होना आवश्यक है। हरिश्चन्द्र सत्य पर अटल रहे, भीष्म पितामह बाण-शय्या पर छह मास तक सोये रहे, राजस्थान की वीर बालाएं जौहर करके मृत्यु की गोद में सो गईं, पर अपने सतीत्व पर आंच न आने दी। चाणक्य ने नन्दवंश का नाश कर दिया। शिवाजी ने विशाल औरंगजेबी सेना का लुक छिपकर भी मुकाबला किया, शहीदेआजम, भगतसिंह अपना नाम अमर कर गये। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में कई सेनानी शहीद हो गये। गांधीजी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से भारत को स्वतन्त्रता दिलाकर ही दम लिया।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाला व्यक्ति अपने विचारों और संकल्पों में इतना प्रखर रहता है, कि विरोध, बाधा, प्रतिकूलताएं उसके सामने टिकने नहीं पातीं। ऐसे व्यक्ति सदैव प्रसन्न और शान्त रहते हैं। जीवन का सुख, स्वास्थ्य, सौन्दर्य, प्रसन्नता, शान्ति उनके साथ रहती है।


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