संभव असंभव से पूछता है, तुम्हारा निवास स्थान कहाँ है? उत्तर मिला, ‘निर्बल के स्वप्न में’
-रवीन्द्रनाथ टैगोर
अन्धकार प्रकाश की ओर चलता है पर अन्धापन मृत्यु की ओर
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