नये सेये गये रेशम के कीड़े इतने छोटे होते हैं कि केवल 1 पौण्ड वजन में 7 लाख आ जाते हैं। परन्तु केवल छह सप्ताह के छोटे समय में उनका वजन बढ़कर 9500 पौंड हो जाता है। यह प्रगति उनके वजन का नौ लाख पचास हजार प्रतिशत है। पर इस प्रगति से क्या लाभ हुआ। बेचारे अपने ही बताये हुए खोखलों में जकड़ कर मर जाते हैं। उनके पास की वह जमा पूँजी जिसे वे किसी काम में नहीं ला पाते, दूसरों का मन ललचाती हैं और वे बेचारे लालचियों द्वारा मारकाट कर समाप्त कर दिये जाते हैं।
रेशम के कीड़ों की तरह कितने ही लोग सम्पत्तिवान बनते हैं, पर उसका सदुपयोग न जानने के कारण लालची, दुष्टता का ही भरण पोषण भर कर पाते हैं।