मनुष्य की असीम अद्भुत क्षमताएं

July 1974

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वर्तमानकाल में एक व्यक्ति के विचार दूरवर्ती अन्य व्यक्तियों तक पहुँच सकते हैं, यह तथ्य अतीन्द्रिय विज्ञानियों ने अनेकों साक्षियों के आधार पर सच मान लिया है। इस आधार पर विचार शक्ति की तुलना शब्द शक्ति एवं प्रकाश शक्ति के साथ की जाने लगी है, जिनकी तरंगें उन्मुक्त आकाश में ईथर-तत्व के माध्यम से द्रुतगामी भगदड़ मचाती हैं। भूतकाल की घटनाओं को बताने वाले लोगों की अलौकिक शक्तियों का भी इसी आधार पर समाधान हो जाता है कि जो गुजर चुका उसके ध्वंसावशेष सूक्ष्म जगत में भ्रमण करते होंगे और क्रमशः झीने पड़ते हुए विलय की ओर बढ़ रहे होंगे। भूत कथन करने वाले अपनी अतीन्द्रिय शक्ति से उन्हें देख समझ सकते हैं।

पदार्थों के साथ स्पर्श करने वाले के शरीर-कण चिपक, जाते हैं और उनकी गन्ध के सहारे जासूसी कुत्ते चोरों को जा पकड़ते हैं। जिसे हम भूत समझते हैं उसके अवशेष समय के साथ ही समाप्त नहीं हो जाते, वरन् किसी रूप में बहुत समय तक अपना अस्तित्व बनाये रहते हैं। इस रहस्यमय सूक्ष्म दर्शन की क्षमता जिन्हें प्राप्त हो वे अपनी अतीन्द्रिय चेतना के आधार पर उसे जान सकें, बता सकें तो यह समझ में आने वाली बात मानी जायगी यद्यपि है आश्चर्यजनक।

भविष्य कथन की बात उपरोक्त दोनों ही स्थितियों से भिन्न और समझ में न आ सकने योग्य है। जो घटना घटित हुई ही नहीं, उसका अस्तित्व या अवशेष कैसे पाया जा सकता है। फिर मनुष्य को स्वतन्त्र कर्मकर्त्ता माना जाता है वह अपनी गतिविधियों को कभी भी किसी भी दिशा में मोड़ सकता है। साधन, प्रयास और अवसर किसी सम्भावना को किसी अन्य रूप में भी बदल सकते हैं। ऐसी दशा में किसी भविष्य का पूर्व निश्चित होना किस प्रकार माना जाय? जो अनिश्चित है, उसकी पूर्व घोषणा का क्या आधार हो सकता है।

संसार के परा मनोविज्ञान वेत्ता इस संदर्भ में भारी असमंजस अनुभव करते हैं। भविष्य कथन के ऐसे प्रमाण सामने प्रस्तुत हैं जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता; किन्तु उसका कारण और आधार कुछ भी समझ में नहीं आता। इसे सैद्धान्तिक मान्यता किस प्रकार दी जाय?

संसार प्रसिद्ध तीन प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं के पूर्व कथन को अनेक कसौटियों पर ठोका, बजाया गया है और पाया गया है कि उनमें ज्योतिषियों जैसी द्विपक्षी और मोल-मटील भाषा बोलने की चालाकी भी नहीं थी और प्रस्तुत परिस्थितियों से भावी संभावना का तक मिलाने जैसा कोई बुद्धिकौशल भी न था। सर्वथा भिन्न परिस्थितियों में भावी भविष्य कथन प्रस्तुत करना और उसका अक्षरशः सही उतरना कुछ ऐसा कौतुक है जिसे सामान्य न करते हुए भी सामान्य विज्ञान के आधार पर यह नहीं बताया जा सकता कि आखिर वह सब सम्भव क्यों कर होता है?

जीनडिक्सन कैनेडी की हत्या, भारत का विभाजन, चीन का साम्यवादी बनना ऐसी बातें थीं जिनकी उन दिनों कोई सम्भावना नहीं थी, जिन दिनों कि वे भविष्यवाणियां की गई थीं।

पीटर हरकौस की चमत्कारिता की तो विधिवत् जाँच की गई। ग्लेनकोव प्रयोगशाला में उसके शरीर एवं मस्तिष्क के अनेकों परीक्षण किये गये। उसकी सभी भविष्यवाणियों और घटनाओं की तारीखें देखी गई जिनमें काफी अन्तर था। भविष्यवाणियां ऐसी थीं जिसकी उस समय कोई सम्भावना नहीं थी, पर घटनाचक्र विलक्षण रूप से घूमा और वह अनहोनी समझी गई बातें होनी होकर सामने आई। उसने अपनी दिव्य शक्ति से कितनी ही दुर्घटनाओं से सचेत करके लोगों को भारी क्षति उठाने से बचाया था। हर्वन लिकसंन का भी उदाहरण ऐसा ही है उनने फाँस, जर्मनी और इटली के मूर्धन्य राजनीतिज्ञों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों और कलाकारों ने उनका निज का तथा चल रही गतिविधियों का परिणाम जिस प्रकार बताया था उसी प्रकार सही निकलता चला गया तो वे स्तब्ध रह गये। मनुष्य की अतीन्द्रिय शक्ति का महत्व उन्हें स्वीकार करना पड़ा, पर वे यह न समझ पाये कि ऐसा क्यों होता है और उसका बुद्धिसंगत कारण क्या हो सकता है।

मनुष्य की संभावनाओं का अन्त नहीं। उसकी अतीन्द्रिय क्षमताएँ भी अनन्त हैं। मनुष्य तत्व का जितना अंश जाना जा चुका है वह भी कम चकित करने वाला नहीं फिर जो अभी अविज्ञात है उसकी सम्भावनाएँ तो और भी अद्भुत हैं। वस्तुतः मनुष्य की संरचना हर दृष्टि से असामान्य स्तर की है। उसके प्रत्यक्ष कर्तृत्व को व्यक्तित्व को देखते हुए उसकी महानता का अनुमान लगाया जा सकता है। यदि अप्रत्यक्ष अस्तित्व को भी खोजा और उभारा जा सके तो प्रतीत होगा कि मानवी आत्मा अपने उद्गम स्रोत परमात्मा के समान ही महान् है। उसकी अतीन्द्रिय क्षमताएँ भी अनन्त और एक से एक बढ़कर अद्भुत हैं।


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