मनुष्य ब्रह्मा जी के पास पहुँचा और उन्नति एवं सुख-शान्ति का वरदान मांगा।
ब्रह्मा जी ने उपहारस्वरूप उसे दो भरे हुए थैले दिये। एक को पीठ पर बाँध दिया और दूसरे को गले में लटका दिया। मनुष्य ने आश्चर्यचकित होकर इन थैलों का रहस्य और उपयोग पूछा।
ब्रह्मा जी ने कहा - 'पीछे वाले थैले में पड़ोसियों की बुराइयाँ भरी हुई है। इन्हें पीछे रखना। इन्हें देखना मत अन्यथा तुम्हें अकारण क्षोभ होगा और प्रगति के लिए जो करना चाहिए, वह न करके उस क्षोभ में उलझ जाओगे।'
गले में लटके हुए थैले का रहस्य बताते हुए उन्होंने कहा - 'इसमें तुम्हारी बुराइयाँ भरी हुई है। आँखों के सामने इसे रखना। बार-बार देखना और उन्हें सुधारने के प्रयत्न में लगे रहना।'
इन दोनों थैलों का यदि तुम ठीक उपयोग कर सके तो निश्चय ही तुम्हारी सुख-शान्ति और प्रगति की मनोकामना पूर्ण होगी। प्रजापति को प्रणाम करके चला आया और जब वह ब्रह्माजी के आदेश पर ध्यान देने लगता है तब मनोरथ सफल होकर रहता है।