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October 1971

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पुराने समय की बात है। एक महात्मा को किसी जघन्य अपराध में पकड़ लिया गया व उन्हें दोषी मान दोष स्वीकारने के लिए यातनाएँ दी गई। महात्मा थे बिल्कुल निर्दोष। चुपचाप वे मार सहते गए अन्ततः उन्हें छोड़ दिया गया।

एक सज्जन यह दृश्य देख रहे थे उन्होंने पूछा “गजब है आप इतने दुर्बल व कृषकाय इतनी यातना कैसे सह गए।” महात्मा बोले ‘विपत्ति सहने के लिए शरीर की नहीं, आत्मा की शक्ति होना चाहिए।’


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