एक बार नारद जी कीचड़ में पड़े एक शूकर को देखकर दयार्द्र होकर बोले - ”चल मैं तुझे स्वर्ग ले चलूं।”
शूकर ने कहा - ”तुम्हारे स्वर्ग में क्या है ? बाबा।”
नारद जी ने कहा - अरे मूर्ख स्वर्ग में खाने के बत्तीस भोग, छत्तीसों व्यंजन, सेवा को अप्सराएं, सुनाने को संगीत, देखने को नृत्य, सब कुछ स्वर्ग में है। चल, उठ!
शूकर उठा पर उठते-उठते उसने पूछा - “महाराज आप के स्वर्ग में खुड़ियाँ और कीचड़ के गड्ढे भी हैं या नहीं?” नारद जी हँसे - अरे मूर्ख स्वर्ग में इनका क्या काम?
शूकर ने कीचड़ में फिर से लेटते हुए कहा - ‘फिर वहाँ है ही क्या खाक?’