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October 1971

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एक बार नारद जी कीचड़ में पड़े एक शूकर को देखकर दयार्द्र होकर बोले - ”चल मैं तुझे स्वर्ग ले चलूं।”

शूकर ने कहा - ”तुम्हारे स्वर्ग में क्या है ? बाबा।”

नारद जी ने कहा - अरे मूर्ख स्वर्ग में खाने के बत्तीस भोग, छत्तीसों व्यंजन, सेवा को अप्सराएं, सुनाने को संगीत, देखने को नृत्य, सब कुछ स्वर्ग में है। चल, उठ!

शूकर उठा पर उठते-उठते उसने पूछा - “महाराज आप के स्वर्ग में खुड़ियाँ और कीचड़ के गड्ढे भी हैं या नहीं?” नारद जी हँसे - अरे मूर्ख स्वर्ग में इनका क्या काम?

शूकर ने कीचड़ में फिर से लेटते हुए कहा - ‘फिर वहाँ है ही क्या खाक?’


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