लाख दिशाएं छिप न सकेंगी, गहरे मन की बातें

October 1971

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साधनों की स्वल्पता, परिस्थितियों की प्रतिकूलता तथा प्रवीणता की न्यूनता रहते हुए भी प्रचण्ड संकल्प शक्ति और अदम्य साहसिकता के बल पर मनुष्य क्या कर सकता है ? इसके जीते-जागते प्रमाण मिस्र के महान पिरामिड हैं जिनकी विशालता देखने पर आश्चर्यचकित रह जाना पड़ता है।

यह आश्चर्य तब और भी अधिक बढ़ जाता है जब उस क्षेत्र में वे साधन कहीं भी दिख नहीं पड़ते जिनके माध्यम से इस निर्माण कार्य को सम्पन्न किया गया है। इतना ही नहीं, यह भी देखने की बात है कि उस जमाने की आवश्यकता, वास्तुकला तथा यान्त्रिक साधनों का प्रचलन न होने पर भी यह सब किस प्रकार बन पड़ा होगा।

विश्व का सर्वोत्तम आश्चर्य मिस्र के पिरामिड, मानव कौशल के कीर्ति स्तम्भ हैं। मिस्र के निवासी इस चेओप्स के गुम्बज को “खूफू का हौरीजन” के नाम से पुकारते हैं। वर्तमान में इसी को महान पिरामिड के नाम से जाना जाता है। गत पचास शताब्दियों में -लगभग 2700 ई. पू. चेओप्स ने पूर्ण कीर्तिं-स्तम्भ के निर्माण की योजना बनाई।

इस दीर्घकाय गुम्बज के निर्माण हेतु केरियो के कोलाहलपूर्ण शहर से 5 मील दक्षिण पूर्व गिजा के पठार पर सहस्रों राजगीर, पत्थर खोदने वाले एवं असंख्यों श्रमिकों ने 30 साल तक घोर श्रम किया।

इसमें संलग्न पत्थरों में से कितनों का ही वजन ढाई से पन्द्रह टन तक है। महान पिरामिडों में 25 लाख अवरोध हैं। फिर भी मनुष्य ने इसके पत्थरों को काटा और निर्माण कार्य हेतु आगे बढ़ते गये। लीवर, रोलर एवं रेधे के सिवाय उनको कोई अतिरिक्त मदद नहीं प्राप्त हुई। उन शिल्पकारों के पास कोई मापक यन्त्र नहीं थे फिर भी पिरामिडों के कोने अपने में पूर्ण हैं, सीधे कोणों की दिशाओं में बने हुए हैं। आश्चर्यजनक यथार्थ के साथ परिधि के चार चिन्ह (कुतुबनुमा) निर्मित हैं। दो अन्य पिरामिड चेओप्स के उत्तराधिकारियों के गिजा समूह में हैं तथा 80 पिरामिड नील नदी के पश्चिमी किनारे तक फैले हुए है।

आधुनिक अनेक खण्डों की ऊँची इमारतों के निर्माण के समान पिरामिडों की संरचना में बड़ी संगठित समरूपता परिलक्षित होती है। नदी की ओर से पत्थर के एक विशाल रास्ते का निर्माण हुआ जो पठार के किनारे से आधा मील झुका हुआ हैं। इसके पृथक निर्माण में पूरे 10 वर्ष लग गये। श्रमिकों के एक समूह द्वारा इसी ढाल की सहायता से विशालकाय प्रतिभाओं को बिना पहिये की गाड़ी में रखकर नाव के द्वारा नील नदी पर लाया गया। पत्थरों की एक लम्बी एवं मुश्क बेंत की असामान्य मोटाई की रस्सी के द्वारा सुरक्षित रखा गया।

समाधि स्थल एवं चित्रशाला के अन्तः भाग की रेखायें तथा अस्वान की चट्टानें मिस्र में नील नदी के प्रथम झरने पर निर्मित की गयी थीं। इन्हें माल ढोने वाली नावों की मदद से 600 मील की दूरी तक पहुँचाया गया। कलाकारों ने उसकी चमक के लिए मूसल आदि का भी उपयोग किया होगा। ऐसा प्रतीत होता है।

प्रवीण चित्रकार, कलाकार, मूर्तिकार, राजगीर एवं चित्रकला संबंधी व्यक्ति जीवन पर्यन्त रहे। लेकिन अकुशल श्रमिकों ने वर्ष में केवल तीन माह ही कार्य किया। जब पतझड़ ऋतु में नील नदी बाढ़ ग्रस्त होती तभी यह एक लाख से करीब कृषक श्रमिक अपनी फसलों के बोने के पश्चात् कार्य का इन्तजार करते थे।

पिरामिड के हृदय में 140 फीट ऊँचा रेगिस्तान है। चोटी के नीचे राजा का कक्ष बना हुआ है। एक तहखाने में 34 फीट लम्बी, 17 फीट चौड़ी और 19 फीट ऊँची स्वच्छ चमकदार पत्थर रेखायें खिंची हुई है।

हजारों टन राजगीरी सहायता ऊपर उपस्थित होते हुए भी इनमें उत्पीड़क एवं व्याकुल कर देने वाली चीखों का आभास होता है। कमरे के आखिरी तल पर पत्थर की कब्र बनी है जो चेओप्स के स्वयं का विश्रामगृह माना जाता है।

इस निर्माण में सबसे बड़े आश्चर्य की बात वे अविज्ञात ध्वनियाँ हैं जो पिरामिडों में थोड़ा भीतर प्रवेश करते ही सुनाई देने लगती हैं। खोजने पर कहीं से वे सूत्र नहीं मिलते जो बता सकें कि यह विचित्र आवाजें आखिर आती कहाँ से हैं।

कभी-कभी वहाँ शहद की मक्खियों के उड़ने की तरह जोर-जोर की भिनभिनाहट होती है। कई बार वे टिड्डी दल के उड़ने जैसी प्रतीत होती हैं। कई बार वहाँ ऐसा लगता है मानो पत्थर की चट्टानों को किसी बड़े जोर से चीरा जा रहा हो। कभी हाँफते कभी कराहने, कभी चिल्लाने और कभी गीत गाने जैसी स्वर लहरियाँ वहाँ गूँजती हुई प्रतीत होता है कि कदाचित निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है और श्रमिक तरह-तरह का कोलाहल कर रहे हैं। मसाला पीसने, टाँकी से पत्थर तोड़ने तथा छोटे हथौड़े और बड़े धन चलाने की आवाजें भी सुनाई पड़ती हैं।

इस प्रकार के ध्वनि प्रवाह सम्भवतः उसी समय के है जब यह निर्माण कार्य चलता रहा होगा। इमारतों की रहस्यमयी संरचना ने उस समय की आवाज को सोख लिया होगा और वे ग्रामोफोन रिकार्डों की तरह समय-समय पर अपनी प्रतिध्वनि प्रकट करते होंगे।

पिरामिडों के बने हजारों वर्ष बीतने को आते हैं, पर उनके पीछे छिपी अदम्य संकल्प शक्ति का चमत्कार अभी भी अपनी कहानी आप कहते देखा जा सकता है।


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