किसी जिज्ञासु ने ईरान के दार्शनिक कवि शेखसादी से प्रश्न किया -”भगवन्! परोपकारी बड़ा होता है या ताकतवर ?”
शेख सादी ने उत्तर दिया और कहा - “पहले तुम मेरे एक प्रश्न का उत्तर दो तो मैं तुम्हारी जिज्ञासा का समाधान कर दूँगा। यह बताओ कि हातिम के समय में सबसे बड़ा पहलवान कौन था ?”
जिज्ञासु ने बहुत सोचा-विचारा पर उसे पर्याप्त समय तक प्रयत्न करने पर भी इसका उत्तर न सूझ। अन्त में उसने कहा - “हातिम के उपकार तो विख्यात हैं आर उनकी कथा सबको याद हैं। पर उस जमाने के किसी पहलवान ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसके कारण उसे आज तक याद रखा जाता।”
शेख सादी ने उसे समझाया कि “तुम ने ठीक ही कहा है। इस कथन में ही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी मौजूद है” पूछने वाला सन्तुष्ट होकर चला गया। उसने परोपकार की महत्ता को समझ लिया।