सभी प्राणियों को अपने समान समझकर व्यवहार करो

October 1971

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पशु यज्ञ का विशाल आयोजन हो रहा था। पंक्तिबद्ध होकर पशु खड़े थे। पास ही बधिक आदेश की प्रतीक्षा में चमचमाती तलवार लिये खड़ा था।

निरीह पशुओं की बलि दे ही जाने वाली थी कि तभी सहसा भगवान बुद्ध ने वहाँ प्रवेश किया। वे सीधे अजातशत्रु के पास गये और एक तिनका उनके सामने रखकर बोले -’इस तिनके को तोड़कर तो दिखाइये। अजातशत्रु ने उसके दो टुकड़े कर दिये। तथागत ने पुनः आदेश दिया-’अब इस जोड़ो।’ ‘ऐसा कैसे सम्भव है भगवन्?’ अजातशत्रु ने प्रश्न किया।

भगवान बुद्ध समझाने लगे ‘तो राजन, जिस प्रकार टूटे तिनके को जोड़ना सम्भव नहीं है, उसी प्रकार पिता के बध से उत्पन्न पाप को निरीह प्राणियों की बलि से दूर करना सम्भव नहीं है। पशु हिंसा से तुम्हारा पाप बढ़ेगा ही घटेगा नहीं। जो प्राण हम में है, वही इन प्राणियों में है। सभी प्राणियों को अपने समान समझकर व्यवहार करो।’

तथागत के इन वचनों ने अजातशत्रु का हृदय परिवर्तन कर दिया और उन्होंने पशुबलि का आयोजन स्थगित कर दिया।


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