सत्यनिष्ठ अपने शरीर की परवा नहीं रखते। वे जिस बात को सत्य समझते हैं उसे छोड़ते नहीं। पराजय का शब्द-कोश में है ही नहीं। वे शत्रु का नाश नहीं चाहते, शत्रु पर रोष नहीं करते किन्तु उस पर दया भाव रखते हैं।