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January 1952

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भारत ने जिस सभ्यता को जन्म दिया था विश्व की कोई सभ्यता उसकी बराबरी की नहीं है। हमारे पूर्व-पुरुष जो बीज बो गये हैं उसकी ममता करने वाली इस संसार में एक भी वस्तु नहीं है। रोम के धुर्रे उड़ गये : यूनान नाम-शेष हो गया; ब्रिटेन का साम्राज्य रसातल को चला गया; जापान पश्चिम के चुँगुल में फँस गया और जर्मनी की बात तो कुछ कहते ही नहीं बनती। परन्तु भारत से पत्ते झड़ जाने पर भी उसकी जड़ मजबूत है।


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