छोटों से व्यवहार कैसे करें?

January 1952

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आयु तथा अनुभव में आपसे छोटे व्यक्ति भिन्न भिन्न प्रकार के व्यवहार की आकाँक्षा रखते हैं। कुछ व्यक्ति आयु में बड़े होकर ज्ञान में आपसे छोटे हो सकते हैं। कुछ आपसे आयु तथा ज्ञान दानों ही में छोटे रहते हैं।

जो आपसे उम्र में छोटे हैं, उनसे आप प्रेम तथा सहानुभूति का व्यवहार कीजिए। वे आपको एक आदर्श के रूप में देखते हैं। आपके चरित्र, व्यवहार, रीति-रिवाज, दैनिक कार्यक्रम—सभी में निरन्तर आपका अनुकरण किया करते हैं। आप उनके सामने हर प्रकार से एक आदर्श बन रहे हैं। बोलचाल में उनसे पूर्ण शिष्टता का व्यवहार करें, उन्हें आयु ‘बाबू’ आदि से सम्बोधन करें। आपका यह मान प्रतिष्ठा पाकर वे चरित्र में आपके आदर्शों के अनुकूल उच्च स्तर पर आने का प्रयत्न करेंगे। आपके उत्तम भावों को कभी नष्ट न होने देंगे।

प्रेम तथा सहानुभूति का सद्व्यवहार पाकर बच्चों की गुप्त शक्तियाँ जाग्रत होती हैं। वे उसी उच्च स्तर पर आपके चरित्र का अनुकरण कर पहुँचने का उद्योग करते हैं। आपके शब्द, बातचीत प्यार प्रकट करें किन्तु अति को न पहुँच जावें। अति का व्यवहार बच्चों को बिगाड़ने वाला, उनकी आदतों को नष्ट करने वाला, होता है।

बच्चों की अच्छी आदतों का विकास देर से होता है। बच्चों की जिद प्रायः ऊँचा उठने की भावना से प्रेरित रहती है। उचित बात को प्रोत्साहन दीजिए।

अनुचित बात की ताड़ना भी न भूलिए। व्यवहार कुशल व्यक्ति बालक का क्रमिक विकास देख कर प्रोत्साहन तथा ताड़ना का सदुपयोग करता है। उनकी प्रत्येक अच्छी बात पर प्रशंसा करना न भूलिये। आपकी प्रशंसा के दो मीठे शब्द पाने के लिए बच्चा कठिन परिश्रम करता है।

स्त्रियों के साथ व्यवहार :- नारी जाति पूज्य है, प्रत्येक स्त्री में एक माता छिपी हुई है। इस मातृत्व के नाते वे पूजनीय हैं—

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”

बिना पूर्व सूचना दिये, जहाँ स्त्रियाँ बैठी हों, वहाँ जाना अशिष्टता है। यदि किसी अपरिचित के घर में आपका आना जाना भी हो, तब भी घर में पदार्पण करने से पूर्व कुछ आवाज देकर, जाना ही उचित है।

स्त्रियाँ स्वभावतः लज्जाशील, शर्मीले स्वभाव की होती हैं। अतः उनसे बातें करते समय उनकी ओर टकटकी लगाये रखना या घूर घूर कर देखना, चार आँखें करने की अशिष्टता न कीजिये। किसी दूसरी ओर दृष्टि रखिए अथवा नीची दृष्टि रखिये।

उनके लिए कुछ न कुछ पवित्र, शिष्ट आदर सूचक सम्बोधन—“बहिन जी;” बेटी, “माता जी, “चाची जी,” नानी; इत्यादि—आवश्यक प्रयोग में लाइये।

जहाँ स्त्रियाँ हों बड़ी सावधानी से रहिए। न ताली बजाइये, न चुटकियाँ, न असभ्यता सूचक सीटियाँ न वहाँ भँवरे की तरह मंडराइये, या घूमिये। चुपचाप बैठकर उनकी और न निहारिये। रेल या गाड़ी में बैठी हुई स्त्रियों की और भी घूर घूर कर देखना असभ्यता है। उनके सामने बैठकर अपने गुप्त अंग न खुजाओ, जाँघ पर से वस्त्र न हटाओ, छाती न खोल डालो, दिल्लगी मजाक न करो, बिना कारण बात न कर बैठो। पराई स्त्री में पूज्य मातृत्व भाव ही देखो, परायी स्त्री के पास अकेले में भी मिलने, बातचीत करने, या अनुचित सम्बन्ध बढ़ाने का प्रयत्न मत करो।

अपनी पत्नी से शिष्ट व्यवहार :- अपनी पत्नी से भी सभ्यता का व्यवहार रखिये। जो पुरुष कभी उन पर हाथ उठा बैठते हैं; अपनी समझ कर तिरस्कार करते हैं; वे उनकी बेइज्जती करते रहते हैं, वे अश्लील हैं। गुप्त मन में उनकी स्त्रियाँ उन्हें दुष्ट राक्षस-तुल्य समझती हैं। ऐसा प्रसंग ही मत आने दीजिए कि नारी को मारने पीटने का प्रसंग आये। उसे अपने आचार व्यवहार, प्रेम भरे सम्बोधन से पूर्ण संतुष्ट रखिए।

पत्नी की भावनाओं की रक्षा, उसके गुणों का आदर, उसके शील लज्जा, व्यवहार की प्रशंसा मधुर सम्बन्धों का मूल रहस्य है। पत्नी आपकी जीवन सहचरी है। अपने सद्व्यवहार से उसे तृप्त रखिए। पत्नी पति की प्राण है, पुरुष की अर्द्धांगिनी है, पत्नी से बढ़ कर दूसरा कोई मित्र नहीं, पत्नी तीनों फलों—धर्म, अर्थ, काम, को प्रदान करने वाली है और पत्नी संसार सागर को पार करने में सबसे बड़ी सहायिका है। फिर, किस मुँह से आप उसका तिरस्कार करते हैं?

उससे मधुर वाणी से बोलिए। अपने मुँह पर मधुर मुसकान हो; हृदय में सच्चा निष्कपट, प्रेम हो वचनों में नम्रता, मृदुता, सरलता, प्यार हो। स्मरण रखिये, स्त्रियों का “अहं” बड़ा तेज होता है; वे स्वाभिमानी, आत्माभिमानी होती हैं। तनिक सी अशिष्टता, या फूहड़पन से क्रुद्ध होकर आपसे सम्बन्ध में घृणित धारणाएं बना लेती हैं। उनकी छोटी मोटी माँगों या फरमायशों की अवहेलना या अवज्ञा न करें। इसमें बड़े सावधान रहें। जो स्त्री एक छोटे से उपहार से प्रसन्न होकर आपसी दासता और गुलामी करने को प्रस्तुत रहती है, उसके लिए सब कुछ करना चाहिए, अतः पत्नी का आदर करें, उसके सम्बंध में कभी कोई अपमान सूचक बातें मुँह से न निकालें और उनकी उपस्थिति में या अनुपस्थिति में उनकी हँसी न करें। “हेम दान ,गज दान ते, बड़ो दान सम्मान” याद रखें।


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