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January 1952

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-जब तक मनुष्य में कोई भलाई रहे तब तक उसका सहकार करना चाहिए, पर जब मनुष्य अपना मनुष्यत्व त्याग देने का हट करे, तब उसका त्याग करना मनुष्य मात्र का कर्त्तव्य हो जाता है।

-निश्चय समझ रखिए कि अगर हमारा जीवन संयम मय हो जायगा तो हम जो चाहेंगे प्राप्त कर सकेंगे।

-प्राचीन काल में जीवन का आधार संयम था, पर आजकल उसका आधार आनन्द-मंगल है। इसका फल यह हुआ है कि हम लोग बल-हीन होकर, कायर हो गये हैं।

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