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August 1941

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सूर्य चिकित्सा और प्राण चिकित्सा पद्धतियों के अनुसार मैंने एक चिकित्सालय खोल दिया है। मुफ्त इलाज करता हूँ। लोगों को बहुत फायदा हो रहा है। साथ ही आध्यात्मिक शिक्षाओं का केन्द्र भी स्थापित किया है। प्रतिदिन चालीस-पचास पीड़ितों की सेवा करके मुझे आन्तरिक आनन्द प्राप्त होता है। ईश्वर की कृपा से अनायास ही खर्च के लायक आमदनी हो जाती है।

-भीखचन्द जैसवाल, बीकानेर।

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गत वर्ष आपकी हस्तलिखित पुस्तक ‘बुद्धि बढ़ाने के उपाय’ में से जो विधियाँ नोट करके लाया था, उनके प्रयोग से बड़े आश्चर्यजनक लाभ हुए हैं। हमारे स्कूल में 5 लड़के ऐसे थे, जिनके पास होने की स्वप्न में भी उम्मीद न थी, पर उनमें से - दूसरी और तीसरी श्रेणी में पास हो गये। मेरी स्मरण शक्ति बहुत बढ़ी है। मुझे आपसे यह बहुत शिकायत है कि ऐसी उपयोगी पुस्तक को अभी तक नहीं छपा रहे हैं। चाहिए तो यह था, पहले उसे छापते पीछे दूसरी। आशा है आप उस अद्भुत पुस्तक को छापने में अब विलम्ब न करेंगे।

-सुरेन्द्रदत्त भट्ट हैड मास्टर, सिमरई।

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‘स्वस्थ और सुन्दर बनने की विद्या’ के साधनों को काम में ला रहा हूँ। पुरानी खाँसी कम हो रही है। शरीर में फुर्ती और मन में प्रसन्नता है।

-ज्योतीप्रसाद सक्सेना, फ रीदपुर।

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मैस्मरेजम सीखने की मुद्दतों से इच्छा थी। कई बार ठगा गया हूँ और दर्जनों पुस्तकें खरीद चुका हूँ। पर किसी से मनोकामना पूर्ण न हुई थी। आपकी (1) परकाया प्रवेश, (2) प्राण चिकित्सा, (3) मानवीय विद्युत के चमत्कार को पढ़ कर मुझे इतनी ठोस सामग्री प्राप्त हुई, जितनी गत पाँच वर्षों में बहुत प्रयत्न करने के बाद भी न पा सका था। पात्र को निद्रित करने के अभ्यास में पूरी सफलता मिली है।

-गोकुलप्रसाद सूद, जलालपुर।


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