दूसरों में बुराई ढूंढ़ने से तुम्हें क्या लाभ? दुनिया में बुराइयाँ ढूँढोगे तो कहीं एक इंच जगह भी ऐसी न मिलेगी जो सर्वथा निर्दोष हो। सूर्य और चन्द्रमा में धब्बे मौजूद हैं, समुद्र खारी है और पृथ्वी ऊबड़ खाबड़ पड़ी हुई है। इन सब के दोषों को गाते फिरो तो तुम्हें क्या मिलेगा? यदि तुम सत्य के शोधक बन कर बुराइयों को ढूंढ़ना चाहते हो, तो आओ। पहले अपना अन्तर ढूंढ़ डालो। दूसरों की शुद्धि करने से पहले अपने को निर्दोष बनालो। जब तुम्हारी अपनी बुराइयाँ दूर हो जावेंगी तो तुम देखोगे कि ईश्वर की पवित्र सृष्टि में बुराई का एक कण भी मौजूद नहीं है।
जिन्हें तुम अप्रिय समझते हो उनकी रचना तुम्हारी परीक्षा करने के लिये की गई है। कसौटी और हथौड़े इसलिये हैं कि सोने की जाँच कर उसकी प्रामाणिकता पर मोहर लगायें। परीक्षा के लिये जलाई गई अग्नि से डरी मत, उसे गालियाँ मत दो और न बुरा बताओ, क्योंकि यह तुम्हारे लिए ही उत्पन्न हुई है। यदि तुम भले हो तो उठो, बुराइयों को हटा कर वहाँ अपना गुण प्रकट कर दो। छोटा दीपक अन्धकार को गालियाँ नहीं देता वरन् वह खुद जलता है और अपने क्षेत्र में प्रकाश फैला कर अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करता है।
क्यों? क्या तुम्हें यह मार्ग पसन्द नहीं आता?
भाग 2 सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य अंक 8