अपरोक्ष आवाहन

August 1941

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(परलोक विद्या के आचार्य श्री वी.डी.ऋ षि)

(जून के अंक से आगे)

प्रेतात्माओं को आवाहन के इन प्रयोगों में जो सन्देश आते हैं वे अतीव विचारणीय रहते हैं, किन्तु स्नेह बन्धन के अभाव से वह तुलनात्मक दृष्टि के स्वरूप होते हैं, उसी मुताबिक ऐसे अवसर पर भिन्न-भिन्न सम्बन्धियों के नाम प्राप्त करने से कठिनाई प्रतीत होती है। आनुषंगिक प्रमाणों से तथा संदेश में लिखी हुई बातों से विवक्षित व्यक्ति का आगमन निश्चित किया जा सकता है।

यह प्रयोग करने के लिये विशिष्ट शक्ति युक्त माध्यम की तथा परलोकस्य मार्गदर्शक के सहायता की आवश्यकता रहती है। साधारणतः यह देखा गया है कि कई लोग अपने प्रिय स्वर्गीय सम्बन्धियों से संवाद करने में सफल होते हैं, किन्तु अन्य जिज्ञासुओं को उनके उपस्थिति में भी सहायता नहीं कर सकते वे अप्रत्यक्ष आवाहन के प्रयोग करने में असमर्थ होंगे। उनकी माध्यमिक शक्ति उतने अंश तक विकसित नहीं रहती, इसलिये उनके प्रयोगों में उचित अनुभव नहीं आ सकते।

शास्त्रीय दृष्टि से इन प्रयोगों का महत्व बहुत ही विचारणीय है, स्वयं लेखन अथवा औजाबोर्ड द्वारा जो संदेश प्राप्त होते हैं उनके संबंध में अनभिज्ञ लोग गुप्तमन अथवा विचार संक्रमण के आक्षेप व्यक्त करते हैं, किन्तु अपरोक्ष आवाहन के प्रयोगों से वह आक्षेप निर्मूल रहते हैं, कारण प्रयोगकर्ताओं को उस व्यक्ति के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं रहता है। ऐसी अवस्था में अज्ञात अवस्थायें भिन्न-भिन्न व्यक्ति से भिन्न-भिन्न प्रकार के संदेश केवल नाम मात्र से प्राप्त होना निस्संदेह आश्चर्योत्पादक है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118