गायत्री पंचमुखी और एकमुखी

शिखावंदन किसलिए

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‘‘हां गुरुदेव, आचमन का रहस्य तो समझ में आ गया परंतु शिखावंदन के पीछे क्या तथ्य सन्निहित है? कृपया यह भी समझाएं।’’

गुरुदेव ने कहा, ‘‘बेटा यह किले के ऊपर झंडे के समान है। यह ऊंचे विचारों का झंडा है। ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा, इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए’ यही भावना एवं संकल्प होना चाहिए। धन, मकान, दुकान, संतान ऊंचे नहीं होते, ऊंचे तो आदर्श, सिद्धांत होते हैं। शिखा ज्ञान-गंगा की प्रतीक है। इससे मस्तिष्क में पवित्र भाव उत्पन्न होते हैं जो हमें संसार में सदैव शिखस्थ रखते हैं, सबसे ऊंचा रखते हैं। शिखा उस भावना की मूर्ति है। शिखा भारतीय संस्कृति की धर्मध्वजा है।

मस्तिष्क में विकृति आ जाए तो बहुत नुकसान होता है। हाथी जब पागल हो जाता है तो विवेक खो देता है। उसे मारना पड़ता है। शिखा एक अंकुश के समान है। जिस प्रकार हाथी पर अंकुश लगाया जाता है, उसी प्रकार शिखा हमारे ऊपर आदर्श और सिद्धांत का अंकुश है। हम श्रेष्ठ विचार तथा विवेकशीलता धारण कर रहे हैं, कुविचार नष्ट हो रहे हैं, भाग रहे हैं, यही भावना करते हुए शिखावंदन करते हैं, भावसंवेदना का जागरण करते हैं।’’






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