गायत्री पंचमुखी और एकमुखी

जल के माध्यम से समर्पण

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>


पूज्यवर ने कहा ‘‘बेटे चार चम्मच जल में तन, मन, धन और भावना चार शक्तियां हैं। इन्हें भगवान के चरणों में समर्पित करते हैं। हम अपना समय, श्रम, धन आदि भगवान के लिए लगाएं। एक हजारी नाम का गरीब किसान था। उसके पास धन नहीं था, परंतु श्रम था। उसने समाज के लिए पुण्य करने की बात सोची। निष्ठापूर्वक एक हजार आम के बगीचे लगाए। उस किसान के नाम पर आज भी बिहार में एक स्थान है जो हजारी बाग के नाम से जाना जाता है। मथुरा में एक पिसनहारी थी जो विधवा थी और आटा पीसने का काम करती थी, उसी से गुजारा करती थी। अपनी कमाई का एक अंश बचा के रखती थी जिसे वह किसी परोपकार के कार्य में लगाना चाहती थी। उसने एक कुआं खुदवाया। कुएं का पानी बड़ा मीठा निकला। मथुरा-वृंदावन में उस समय मीठे पानी वाला एक यही कुआं था। आज भी उसे पिसनहारी का कुआं ही कहा जाता है। लोभ-मोह के लिए तो सब जीते हैं, कुछ भगवान के लिए भी लगाएं। यदि परोपकार के लिए हमारा ध्यान नहीं तो हम पशु से भी गिरे हुए हैं यही समझना चाहिए। पशु तो मरने के बाद भी काम आता है परंतु मनुष्य तो मरने के बाद किसी के कोई काम नहीं आता।

जल शीतलता का, कल्याण का, संवेदना का प्रतीक है। बहेलिए ने क्रौंच पक्षी को तीर मारा। उस पक्षी की पत्नी के करुण विलाप को देखकर वाल्मीकि की करुणा जाग गई। उसी करुणा से प्रस्फुटित हुआ था रामायण महाकाव्य। दूसरों का दुःख देखकर हृदय पिघलना चाहिए।

यही सब गुण हमारे भीतर विकसित हों और हम तन, मन, धन तथा भावना से समाज की सेवा कर सकें उसी के प्रतीक रूप में चार चम्मच जल चढ़ाते हैं।




<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118