भगवान की पूजा में ‘पुष्पम् समर्पयामि’ का भी विधान है।
हमारा जीवन पुष्प के समान ही खिलता, हंसता हो और उस समृद्ध जीवन को हम भगवान के कार्य में समर्पित कर दें।
पुष्प ने माली से कहा हम भगवान के चरणों में चढ़ना चाहते हैं। माली ने कहा ‘पहले अपना गला कटाना होगा’ अर्थात् प्रभु के चरणों में पहुंचना है तो कष्टसाध्य जीवन जीना पड़ेगा, तप-तितीक्षा का अवलंबन लेना होगा। पुष्प ने कहा हम भगवान के गले का हार बनना चाहते हैं। माली ने कहा केवल गला कटाने से काम नहीं चलेगा। अपने पेट में सुई से छेद करवाओ तब भगवान के गले का हार बनोगे। अर्थात् कष्ट साध्य जीवन ही पर्याप्त नहीं अपने भीतर के व्यसनों को भी बाहर निकालना होगा। अंदर जो गंदगी है उसे सुई से छेद कराकर बाहर निकालो। बीड़ी, सिगरेट, शराब, मांस के, जुआ, सट्टा, सिनेमा आदि के व्यसनों से अपने को मुक्त करो और फिर सब एक में मिलकर सहकारिता का जीवन जियो तभी एक माला के रूप में तुम देवता के गले का हार बनोगे। फूल की तरह ही एक होकर समर्पित जीवन जिओ तथा लोकमंगल के लिए अपना सर्वस्व सर्वत्र बिखेरते रहो, अपनी सुगंध से सबको मोहित करते रहो।