देवालयों में ईश चेतना का निवास होता है, यह भारतीय संस्कृति की मान्यता है। युगों-युगों से ये जाग्रत जीवंत देवालय मानव मात्र को प्रेरणा देते हरे हैं। पिछले दिनों आए उड़ीसा के तूफान में जहाँ बड़े-बड़े भवनों-पूरे गाँवों का समुच्चय नष्ट होता चला गया, वहीं बहुसंख्य देवालय सुरक्षित बने हरे। क्या कारण है इसका ! दैवी ऊर्जा जो मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा के साथ जगाई जाती है, वही इन्हें जाग्रत केंद्र बनाती है।