VigyapanSuchana

April 2000

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गायत्री ज्ञानयज्ञ योजना

“यह पुस्तक/पत्रिका आपके पास गायत्री माता की कृपा से आई हैं। इसे स्वयं पढ़े एवं परिवार में सबको पढ़ाएं, एक माह बाद इसे किसी अन्य सुपात्र को स्वाध्याय हेतु दे दें, ताकि ज्ञान का आलोक जन-जन तक पहुँच सके और स्वाध्याय का क्रम चलता रहे।

सौजन्य से .................................................................................................”

उपर्युक्त स्िल्प टाइप करके अथवा छपवाकर पुरानी अखण्ड ज्योति, युग शक्ति गायत्री पत्रिकाओं तथा क्राँतिधर्मी साहित्य, युगनिर्माण योजना द्वारा प्रकाशित गायत्री विधा संबंधी पुस्तकों के साथ लगातार परिचितों को देकर परिजन अपने पास आने वाली पत्रिकाओं की पाठक संख्या में कई गुना विस्तार कर सकते हैं। विगत एक वर्ष से ‘युग निर्माण योजना’ मासिक के माध्यम से इस प्रकार का प्रयोग आरंभ किया गया है, जो बड़ा सफल रहा है। ऐसी स्लिपें क्षेत्रों में भी उपलब्ध हैं- कई शक्तिपीठों ने छपवाई भी हैं। विधा विस्तार योजना के अंतर्गत परमपूज्य गुरुदेव के विचार जन−जन तक पहुँचाने का एक सशक्त तरीका है। इस महापूर्णाहुति वर्ष में यह अभियान गति पकड़े, ऐसा भावभरा अनुरोध हैं।


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