Quotation

April 2000

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इक्कीसवीं सदी को उज्ज्वल भविष्य का रूप देने के लिए जिस प्रबल पुरुषार्थ की अपेक्षा है, उसे आज से-अभी से शुरू करना पड़ेगा। हम सबको इसके लिए संकल्पित होना पड़ेगा कि नई सदी में हमारे कदम विध्वंस और विनाश की नहीं, शाँति और सृजन की रा पर चलें।


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