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April 2000

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सृष्टि को सुव्यवस्थित बनाने और जो भी कुछ दिया गया है उसे कर्मयोगी के नाते सँभाल-संजोकर रखने का दायित्व हर मनुष्य का है। जो इसमें सफल होता है, वह उतना ही श्रेय का भागी होता है, सम्मान पाता एवं दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनता है।

-परमपूज्य गुरुदेव


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