आदर्श शिक्षक (Kahani)

January 1994

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आदर्श शिक्षक मात्र अध्ययन ही नहीं करते, छात्र को दस विद्या में ऐसा पारंगत कर देते हैं, कि वह स्वर्ण बनकर निखर उठता है। तक्षशिला विश्व-विद्यालय में सात वर्ष तक आयुर्वेद पढ़ने के उपराँत आचार्य बृहस्पति ने जीवक की परीक्षा लेकर विदा करने का मुहूर्त निकाला। उनने हाथ में खुरपी देकर कहा-”एक योजन की परिधि में एक ऐसी वनस्पति खोजकर लाओ, जो औषधि के काम न आती हो।” जीवक एक सप्ताह तक घूमे और लौटने पर बोले-”गुरुदेव ! एक भी ऐसी वनस्पति नहीं मिली, जो औषधि के काम न आती हो।” बृहस्पति ने अपने शिष्य को गले लगा लिया व कहा-”वत्स ! तुम सफल रहे। जाओ अब आयुर्वेद का प्रकाश दिग्दिगंत फैला दो।”


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