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Akhand Jyoti
Year 1994
Version 2
प्रयास यांत्रिक...
प्रयास यांत्रिक नहीं, चेतनात्मक उत्कर्ष की दिशा में चलें
April 1994
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Page Titles
परिवर्तन की प्रसव पीड़ा
वारी तेरे नाऊं पर, जित देखूँ तित तू
हवा युग परिवर्तन के अनुकूल ही बह रही है।
प्रयास यांत्रिक नहीं, चेतनात्मक उत्कर्ष की दिशा में चलें
दरिद्रता की दवा पारस नहीं ।
मनुष्य है, जीता-जागता एक बिजलीघर
प्रेम की परीक्षा (Kahani)
हर जीवात्मा के लिए सुनिश्चित एक साधना-समर
संयम बरतें, संपन्न बनें
Quotation
सनकों से भरी ये वसीयतें
शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम्
जागीर का स्थान (Kahani)
माँगलिक प्रतीक स्वस्तिक
नरमेध यज्ञ
गायत्री छन्दसामहम्
मानवी व्यक्तित्व के सूक्ष्मतम सूत्रधार
दृश्यमान वैभव-विस्तार ही सब कुछ नहीं
कौन जाने किस वक्त किससे काम पड़ जाये (Kahani)
विपन्नताओं से उबरने का एक मात्र उपचार
नर पिशाचों की नृशंसताएँ
प्रशिक्षण से प्रतिभा परिष्कार संभव
व्यक्ति अपना स्वर्ग या नरक अपने कर्मों से स्वयं बनाता है (Kahani)
मूर्तिकार की तरह गढ़ता है, गुरु
सज्जनों को सताकर कोई भी नष्ट हो सकता है (Kahani)
सौम्य, निरापद दक्षिणमार्गी साधना ही श्रेयस्कर
जीवन ऊर्जा का अनावश्यक अपव्यय रोकें
Quotation
नवयुग की गंगोत्री, जिसमें भरी है विशिष्ट प्राणऊर्जा
भौतिक दुःखों की पीड़ा (Kahani)
संस्कृति-संदेश (Kavita)
मातृ वंदना (Kavita)
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
यज्ञ ऊर्जा के बहुआयामी लाभ
धारावाहिक विशेष लेखमाला-13 - युग पुरुष पूज्य गुरुदेव पं.श्रीरामशर्मा आचार्यजिनने साधना-सूत्रों की नूतनशोध से द
मृत्यु का डर अज्ञानियों और आतंकवादी कुकर्मियों को ही लगता है (Kahani)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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