प्रशिक्षण से प्रतिभा परिष्कार संभव

April 1994

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जानवरों की बुद्धि को यदि प्रशिक्षित और परिष्कृत किया जा सके तो कई बार वे मनुष्यों जैसी प्रतिभा और प्रखरता का परिचय देने लगते हैं। ऐसी ही एक घटना 20वीं सदी के प्रारंभ की है।

इंग्लैंड का एक नागरिक था- डेविड पार्कर। विवाह हुए कई वर्ष बीत जाने पर भी उसे कोई संतान न हुई, तो उसने एक कुतिया पाल ली। नाम रखा- फाइले।

डेविड सरकारी गुप्तचर विभाग में काम करता था उसने फाइले को मनोरंजन का साधन मात्र बनाए रखना उचित न समझा और उसे प्रशिक्षित करने का निश्चय किया। जिस कला में वह प्रवीण था, जिसमें उसकी रुचि थी, उसी में कुतिया को भी पारंगत बनाने का निर्णय किया।

कुछ ही दिनों में दोनों में गहरी मित्रता हो गई, इतनी गहरी कि कभी डेविड को कार्यवश बाहर पड़ता, तो फाइले खाना-पीना त्याग कर डेविड की वाट जोहती रहती। उसके आने पर ही वह अन्न ग्रहण करती, पैरों से लिपटती और प्रेम प्रदर्शित करती।

प्रशिक्षण भी बीच-बीच में चल रहा था। डेविड जो कुछ सिखा सकता था, सिखाया जैसे चोरों का पता कैसे लगाया जाता है ; चोरी का माल कैसे बरामद किया जाता है ; अपराधी का पीछा करके उसके मनोरथ को कैसे विफल किया जाता है ; आदि अनेकानेक कौशल उसने कुतिया को खेल-खेल में सिखला दिये। रोज-रोज के अभ्यास से फाइले ने भी मनुष्यों जैसी समझ अर्जित कर ली ।

एक दिन डेविड घर से बाहर दौरे पर था। पत्नी मकान में अकेली थी। उसे किसी का साहचर्य प्राप्त था- तो वह एकमात्र कुतिया ही थी, अन्यथा रात्रि में घर एक प्रकार से सुनसान जैसा बना रहता। डेविड की उपस्थिति में उसका कोई न कोई इष्ट-मित्र आता ही रहता था, फलतः अकेलापन का डरावना वातावरण समाप्त हो जाता ; पर इस समय की स्थिति बड़ी असह्य थी। इसी का लाभ उठाकर कुछ चोर घर में घुस आये। मालकिन गहरी नींद में सो रही थी ; किंतु कुतिया जरा सा खटका होते ही जाग पड़ी। प्रश्न यह था कि क्या करना चाहिए ? मोटी बुद्धि यह कहती है कि हो-हल्ला मचाया जाय ; चोरों को काटा और भगाया जाय। सम्भवतः दूर दर्शिता ने उसे सुझाया कि ऐसा करने पर उसकी तथा मालकिन की जान जा सकती है। धन को भी नहीं बचाया जा सकता था। उसने दूसरा उपाय सोचा चुपचाप मुर्दे जैसी पड़ी-पड़ी सब देखती रही। चोर माल लेकर चल दिये, तो वह दबे पाँव उनके पीछे लग ली। चोरों ने माल को पास के कब्रिस्तान में गाड़ और सुविधानुसार उसे बेचने का निश्चय किया।

कुतिया ने यह सब देखा और चुपके से घर लौट आयी। प्रातः जानकारी हुई, हल्ला मचा और पड़ोसी एकत्रित हुए। कुतिया ने एक परिचित का पैंट पकड़ और उसे कब्रिस्तान की ओर ले गयी। अन्य दर्शक भी पीछे चले। नियत स्थान पर उसने पंजों से जमीन खोदी। माल मिल गया। नन्हें-से जानवर की इस बुद्धिमानी पर सभी अवाक् रह गये।

डेविड लौटा, तो उसे फाइले की सूझ-बूझ पर भारी प्रसन्नता हुई। उसने जाना कि इसमें सीखने की क्षमता है। उसे जासूसी कुत्तों के केन्द्र में भर्ती कर दिया गया। कुछ ही समय में उसने इतनी बुद्धिमत्ता अर्जित कर ली कि उन्हीं दिनों भड़के द्वितीय महायुद्ध में उसने महत्वपूर्ण केंद्रों में अति गोपनीय पत्र मुँह में दबाकर नियत स्थान पर पहुँचाने और उनके उत्तर लेकर वापस लौटने का कार्य इतनी अच्छी तरह किया कि सेना के प्रमुख अफसर तक, दंग रह गये। उसे कप्तान का पद दिया गया। और आयु पूरी करके जब मरी, तो पूरे सैनिक सम्मान के साथ दफना कर उसका स्मारक बनाया गया, जिस पर अभी भी हर वर्ष श्रद्धाँजलि दी जाती है। जब पशुओं में ये विलक्षणताएं हैं तो मनुष्यों में तो ऐसे अगणित हैं, जिनकी प्रतिभा को यदि परिष्कृत करने में सहायता मिले तो वे साधारण से कहीं ऊँचे उठकर असाधारण स्तर के बन सकते हैं।


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