सनकों से भरी ये वसीयतें

April 1994

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धन कमाना एक बात है और खर्च करना सर्वथा दूसरी। सनकी किस्म के व्यक्ति यदि किसी प्रकार संपत्ति कमा लेते हैं, तो उपयोग न मालूम होने की स्थिति में उसका अपव्यय ही होता है। इस प्रकार जीवन भर की कमाई बेकार चली जाती है। उससे न व्यक्ति का अपना भला होता है, न राष्ट्र का। इसके विपरीत यदि समाज निर्माण के रचनात्मक कार्यों में उपयोग हो, तो इसका दुहरा लाभ मिलता है। व्यक्ति पुण्य का भागी बनता है और राष्ट्रीय प्रगति में उसके महत्वपूर्ण योगदान की सर्वत्र सराहना होती है, किन्तु सनकियों को न अपनी चिंता, न देश की। ऐसे ही लोग संपत्ति का सर्वाधिक दुरुपयोग करते देखे जाते हैं।

कैटाअरो, इटली की एक धनी महिला मारिया टलारिका ने अपने वसीयतनामे में लिखा कि मृत्युपरान्त उसके धन को उसकी संतानों को न दिया जाय और उससे एक ऊंची मीनार बनवाई जाए। मीनार के ऊपर छोटा एवं सुँदर कमरा हो, जिसमें वह अपना मरणोत्तर जीवन दुनिया की अशाँति से अलग शाँतिपूर्वक बिता सके।

मार्टिन गुहरे फ्राँस के आर्टिगैट गाँव का रहने वाला था। उसकी पत्नी पहले ही दिवंगत हो चुकी थी। दो पुत्र उससे दूर अन्य शहरों में नौकरी करते थे। गाँव में वह अकेला रहता था। जब उसे लगा कि मृत्यु निकट है, तो उसने अपने वकील को बुलवाया और उसे लगा कि मृत्यु निकट है, तो उसने उसके इस आशय की इच्छा का उल्लेख था कि उसके बाद उसकी संपत्ति का क्या किया जाय? मार्टिन गुहरे का उसमें स्पष्ट निर्देश था कि संपदा उसकी स्वयं की कमाई हुई है। पुत्रों ने कभी उनका तनिक भी ध्यान नहीं रखा। अतः इससे उनको उत्तराधिकार स्वतः समाप्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में संपत्ति का उपयोग एक भव्य हवादार कब्र के निर्माण में कर देने का उल्लेख किया था। बाद में इसी कमरे में अपने मृत शरीर को अंतिम रूप से दफना देने की प्रार्थना थी। इस निर्माण से जो धन बचे, उससे पत्नी की समाधि विनिर्मित करने का निर्देश था।

जेवियर मट्ज मोरक्को के उद्योगपति थे। फुटबाल खेल से उनका गहरा लगाव था। अपने छात्र जीवन में वे इसके अच्छे खिलाड़ी रह चुके थे। आरंभ में उनने निश्चय कर लिया था कि वे अपना जीवन इसी खेल के लिए समर्पित कर देंगे। पर नियति कुछ और ही थी। उन्हें इससे नाता तोड़ना पड़ा। पारिवारिक दायित्व को पूरा करने के लिए विवश होकर उन्हें एक फैक्टरी में काम करना पड़ा। किन्तु इतनी स्वल्प आय उनके बड़े परिवार के लिए कम पड़ती थी, अतः गियर बनाने के आरंभ में उनने एक छोटी फैक्टरी खोली। बाद में बढ़ते-बढ़ते यह काफी बड़ी हो गई और शुरू के गरीब जेवियर अपने उत्तरार्द्ध जीवन में एक उद्योगपति के रूप में प्रतिष्ठित हुए। उनके लड़कों का अपना स्वतंत्र व्यापार था, पर पिता-पुत्र के बीच संबंध मधुर न थे। अपना अंतिम समय निकट जानकर जेवियर ने एक वसीयतनामा तैयार किया, जिसमें लिखा कि उसकी सारी संपत्ति मोरक्को के उस फुटबाल खिलाड़ी को दे दी जाय, जो उसकी मृत्यु के पश्चात् के तीन वर्षों में उसने देशी-विदेशी टूर्नामेंटों में कुल मिलाकर एक सौ पाँच गोल किये हों।

जर्मनी के हैमलिन शहर के एक करोड़पति आर्थर एकमैन ने अपने इच्छा-पत्र में लिखा कि उसकी मृत्यु के उपराँत अंतिम-क्रिया में जो लोग सम्मिलित हों, उनमें उसकी दौलत वितरित कर दी जाय। बाद में वैसा ही किया गया।

कैनन हैरी समरसैट, इंग्लैंड का एक धनी भिखारी था। वह अपने धन का अधिकाँश भाग बैंक में जमा कर देता और थोड़े में से जैसे-तैसे गुजारा करता। अंतिम दिनों में उसके पास लगभग एक हजार पौंड जमा था। वह बीमार पड़ गया तो उसने मजिस्ट्रेट के नाम एक पत्र लिखा और प्रार्थना की कि उसके देहावसान के पश्चात् उस रकम से एक मनोरंजन गृह बनवाया जाय, ताकि भिक्षा-वृत्ति के बाद का समय भिक्षुक उसमें गुजार सकें।

क्काँग जुफू सोल, कोरिया के एक प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। पत्रकारिता से उनने काफी धन कमाया था। इसके अतिरिक्त पेय बनाने की एक फैक्टरी भी थी। उनके कोई संतान नहीं थी। पत्नी ने भी अपना घर कहीं अन्यत्र बसा लिया था। धन का उपयोग उनकी समझ में नहीं आ रहा था। एक दिन उनके दिमाग में एक विचार कौंधा और वैभव के उत्तराधिकार के निमित्त एक इच्छा-पत्र लिख डाला। उस पत्र में उसने न्यायाधीश से अपील की थी कि उसके शरीराँत के बाद धन का दावेदार वही हो सकता है जो राजधानी में डेढ़ हजार मीटर ऊंचा टावर उसकी स्मृति में बनवाएं। शर्त को किसी व्यक्ति द्वारा पूरा नहीं किये जाने के कारण संपत्ति को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया।

धन कमाना बुरा नहीं है। बुरा तो वह तब बन जाता है, जब उसका दुरुपयोग होने लगे, जबकि सदुपयोग से न सिर्फ व्यक्ति यशस्वी बनता है वरन् उससे राष्ट्र की प्रगति भी आगे बढ़ती है। कमाने से पूर्व खर्च करना सीखें। समाज के लिए नियोजित करना सीखें। विवेकशीलता इसी में है और समय की माँग भी यही है।


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