Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1989
Version 2
Quotation
Quotation
September 1989
Read Scan Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
अशुभ भविष्य की चिन्ता में उद्विग्न न रहो। साहसपूर्वक प्रगति का सरंजाम जुटाओ और प्रसन्न रहो।
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
चिन्तन की दृष्टि से हम प्रौढ़ बनें!
चेतन सत्ता का अवतरण- व्यक्तित्व में परिवर्तन
प्रार्थना जीवन का अविच्छिन्न अंग बने।
नवयुग विवेक पर अवलम्बित होगा
प्रतिकूलताएँ निखारती हैं, व्यक्तित्व को
साधना से सिद्धि का शाश्वत सिद्धांत!
सूक्ष्म जगत में विद्यमान आसुरी सत्ता का प्रवाह!
Quotation
प्रसन्नता का चुम्बकत्व
मिठास का आनन्द (kahani)
सृजन प्रयोजनों के निमित्त परोक्ष-जगत का योगदान
मनस्विता की प्रचण्ड शक्ति
सुगंधों से मन को प्रफुल्लित करें, प्रसुप्त को जगायें
प्रतिभा एवं संकल्पशक्ति का उभार
राग-रागनियां आँदोलित करती है शरीर व मन को
आनंद का उद्गम-आत्मभाव
विरोध नहीं समभाव के विषय में सोचें!
Quotation
स्फूर्ति व मस्ती पाने की सही विधि!
विकास के साथ साथ विनाश से जूझना भी आवश्यक
रोगोपचार की एक ही कुँजी
मृत्यु का विस्मरण एक असाधारण प्रमाद
Quotation
सविता का अनुदान प्राणशक्ति के रूप में
विशेषताओं में हम से कहीं आगे हैं अन्यान्य प्राणी
चेतना को अन्तर्मुखी बनाऐं
भ्रान्तियों से उबरें, प्रगति पथ प्रशस्त करें
नारी का अद्भुत अन्तराल
जागरूकता और साहसिकता
व्यावहारिक जीवन का ध्यान योग
Quotation
परिस्थिति नहीं मनःस्थिति बदलें!
युगसंधि की प्रथम किरण
इक्कीसवीं सदी की नारी जाग चुकी है!
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More